नीमच

देश की प्रत्येक महिला के जज्बे को प्रोत्साहन करने का दिन है अंतर्राष्ट्रीय महिलादिवस : मीनू लालवानी

एनपीटी नीमच ब्यूरो

नीमच – 8 मार्च का दिन प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसको लेकर आराध्या वेलफेयर सोसाइटी (बेटियों को जन्म देने वाली माताओं को सम्मानित करने वाली संस्था) की संयोजिका एडवोकेट माया (मीनू) लालवानी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिला मातृशक्तियों की जीवनी प्रकाश डालते हुए बताएं कि मातृशक्तियों को पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ाने, उनकी उपलब्धियां को प्रोत्साहित करने ओर उनमें आसमान छूने के हौसले प्रदान करने और सच्चे अर्थो में नारी सशक्तिकरण के भाव का जागरण पैदा करने के लिए यह प्रेरक दिवस के रूप में मनाया जाता है ये पूरी दुनिया के उत्सव का दिन है इसलिए महिलाओं को मातृशक्ति के रूप में स्थान देना चाहिए लैंगिक समानता के लिए यह एक संकल्प का अवसर है ओर भारतीय इतिहास के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाएं सशक्त रही है वर्तमान स्थिति में कौशल,ज्ञान, विवेक,साहस और सोच से भरी महिलाओं के जीवन से समाज की शेष महिलाओं को प्रेरणा मिलती है महिला दिवस वास्तव में महिलाओं को उनके कार्य उनके अधिकार और समानता के प्रति चेतना और संकल्प का दिवस माना जाता है महिला दिवस पर यह कहना उचित होगा कि शिक्षा के बगैर महिला सशक्तिकरण अधूरा है इससे महिलाओं के संकल्ता को साकार करने में महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है इसके लिए महिला शिक्षा के महत्व को समझना अति आवश्यक है महिला शिक्षा और महिला सशक्तिकरण एक दूसरे से पहले से ही जुड़े हुए हैं क्योंकि शिक्षा ही वहां साधन है जिसके माध्यम से महिलाएं अपने अधिकारों और जिम्मेदारियां को समझती है महिलाओं में शिक्षा समाज और राष्ट्र की प्रगति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ अपने सामाजिक स्थिति में सुधार का कारण भी बन सकती है ओर पूरे परिवार और समाज को प्रगति की दिशा में ले जाने का कार्य करती है महिलाओं का शिक्षित और आत्मनिर्भर होना समाज में समानता की मुख्य कुंजी है समाज में स्वस्थ पीढ़ी का निर्माण तभी संभव है जब उस समाज की महिला सशक्त हो महिला शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हर लड़की को शिक्षा प्राप्त करने का य करवाए जाने का समान अवसर मिले खासकर ग्रामीण क्षेत्र और पिछड़े क्षेत्रों में इसके लिए विद्यालर्यों इंफ्रास्ट्रक्चर मैं सुधार और छात्रवृत्तियां प्रदान करना जरूरी है क्योंकि राष्ट्र की नव शक्ति को सकार करने में महिलाओं की भी भूमिका अहम रहती है महिलाएं नर को नारायण बनाने वाली नारी होती है इसके लिए समाज को भी ये समझने की आवश्यकता है और समाज भी अपनी मानसिकता में बदलाव लाकर भेदभाव को समाप्त कर महिलाओं को समान अधिकार प्रदान करने की पहल करें ताकि महिला शिक्षित होकर शिक्षा के भाव में कमी लाते हुए देश, समाज ओर एक अच्छे राष्ट्र में राष्ट्र को मजबूती प्रदान करने में अहम योगदान और भूमिका प्रदान कर सके ।

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