श्रृद्धापूर्वक मनाया बासौदा शीतला माता को गुल्गुला, दही, चावल का लगाया भोग

एनपीटी खैरथल ब्यूरो
खैरथल : खैरथल शहर में शीतला माता की पूजा बड़े ही धूमधाम से की गई. दरअसल होली के कुछ दिन बाद बासौदा मनाया जाता है. इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है. शीतला माता की पूजा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को होती है, लेकिन कुछ स्थानों पर इनकी पूजा होली के बाद आने वाले पहले सोमवार अथवा गुरुवार के दिन भी की जाती है.
शीतला माता हर तरह के पापों का नाश करती हैं और अपने भक्तों के तन-मन को शीतल करती हैं.
शीतला माता की पूजा के दिन घर में चूल्हा नहीं जलता है. आज भी लाखों लोग इस नियम का बड़ी आस्था के साथ पालन करते हैं. शीतला माता की उपासना वसंत एवं ग्रीष्म ऋतु में होती है. चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ और आषाढ के कृष्ण पक्ष की अष्टमी शीतला देवी की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होती है. इसलिए यह दिन शीतलाष्टमी के नाम से विख्यात है.
खैरथल में शीतला माता के मंदिर में भीड़ से बचने के लिए रात को 12 बजे के बाद से ही महिलाओं ने आकर पूजा शुरू कर दी और मंदिर में सुबह तक हजारों की संख्या में शीतला माता के मंदिर में पूजा के लिए महिलाएं पहुंची है. खैरथल के बाजार मे पुराने शीतला माता स्थान,मातौर रोड शीतला मंदिर मे महिला भक्तों की भारी भीड़ रही माता को चावल,दही,गुलगुला का प्रसाद चढ़ाया गया शीतला माता की कथा सुनी गई
क्या कहना है महिला भक्तों का
शीतला माता की पूजा करने आई पुष्पा गुप्ता,सरलता,कविता ,पुनम,सरोज,रीना ने बताया कि पूजा करने से परिवार के बच्चे त्वचा रोगों से बचे रहते है. चेचक या टाइफाइड जैसी बीमारी नहीं होती है. पुरानी परम्परा चली आ रही है. आज के दिन घरों मे ठंडा खांना ही खाया जाता है पशु,पक्षीयों के लिए भी मिट्टी की सराई मे होली स्थान,मंदिरो के पास खाना रखा जाता है