राज्य में निर्धारित बजट की राशि को पुरा खर्च नहीं करना राज्य के दलित आदिवासी मुलवासी समाज के साथ धोखा, मुख्यमंत्री संज्ञान ले- विजय शंकर नायक

एनपीटी पाकुड़ ब्यूरो
रांची, आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने राज्य में निर्धारित बजट की राशि कम खर्च किये जाने पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि राज्य में निर्धारित बजट की राशि को पुरा खर्च नहीं करना, राज्य के दलित आदिवासी मुलवासी समाज के साथ धोखा है, जिससे मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को संज्ञान में लेना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि निर्धारित बजट की राशि का पुरा खर्च नहीं किया जाना, झारखण्डी समाज को विकास से दुर रखने की साजिश है। नायक ने उदाहरण देते हुए बताया कि कई विभाग ने आधी भी राशि खर्च नहीं की, जब 9 माह में खर्च नहीं हुआ तो क्या गारंटी है कि 3 माह में कंडकित पूर्ण बजट की राशि ख़र्च कर पायेंगे। कहा ऊर्जा विभाग का बजट 9560 करोड़ में मात्र 6994 करोड़ खर्च किया गया, जबकि ग्रामीण विकास विभाग 6114 करोड़ में मात्र 3054 करोड़ ही खर्च कर पाया। महिला, बाल विकास व सामाजिक सुरक्षा विभाग 5833 करोड़ में 4911 करोड़ ही चर्च किया। जबकि पथ निर्माण विभाग 3833 में 2447 करोड़ तथा स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा व परिवार कल्याण विभाग 2370 में सिर्फ और सिर्फ 866 करोड़ ही खर्च कर पाया। कहा खाद्य, जनवितरण व उपभोक्ता मामले, 2203 में 378 करोड़, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता (सेकंडरी) 2069 में 1000 करोड़, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता (कृषि) 2007 में 523 करोड़ व शहरी विकास एवं आवास (नगर विकास)1446 में 423 करोड़, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग 1426 में सिर्फ और सिर्फ 237 करोड़ खर्च कर पाया। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता (प्राथमिक व व्यस्क) 1305 में 113 करोड़, जल संसाधन विभाग 1288 में 828 करोड़ श्रम, रोजगार प्रशिक्षण एवं कौशल विभाग 1014 में 756 करोड़, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन 985 में 273 करोड़, पेयजल एवं स्वच्छता 766 में 130 करोड़ में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा 611 में 121 करोड़ भवन निर्माण 583 में 324 करोड़ , कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता (सहकारिता) 577 में 490 करोड़ , गृह, जेल एवं आपदा प्रबंधन 518 में 61 करोड़ तथा कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता (डेयरी) 402 में 96 करोड़, उद्योग विभाग 386 में 192 करोड़ एवं योजना एवं विकास 374 में 39 करोड़ खर्च कर पाया। जबकि उच्च एवं तकनीकी शिक्षा (तकनीकी) 350 में 62 करोड़, अल्पसंख्यक कल्याण 326 में 112, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता (पशुपालन) 301 में 62 करोड़, आई और ई- गवर्नेस 300 में 9.40 करोड़ तथा जल संसाधन लघु सिंचाई 290 में 137 करोड़, पंचायती राज 270 में 90 करोड़, परिवहन विभाग 265 में 3.42 करोड़, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग 280 में 201 करोड़, जबकि पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कल्याण (कला) 170 में 46 करोड़, पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कल्याण ( पर्यटन) 150 में 29 करोड़ एवं राजस्व, निबंधन एंव भू- सुधार 133 में 44 करोड़, शहरी विकास एवं आवास (आवास) 100 में 00 , कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता (मत्स्य) 9330 में 2250 करोड़, कैबिनेट सचिवालय एवं निगरानी (नगर विमानन) 80 में 14 करोड़, खनन एंव जियोलोजी 29 में 165 करोड़, वित्त विभाग 20 में 281 करोड़, वाणिज्यकर 1200 में 184 करोड़, जबकि कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार 295 में 0.39 करोड़ ही खर्च कर पाया। साथ ही उत्पाद एवं मद्य निषेध 260 में 033 करोड़ खर्च किया गया है जो राज्य की जनता के लिए शुभ संकेत नहीं है। नायक ने स्पष्ट रुप से चेतावनी देते हुए कहा कि अगर पूर्ण बजट की राशि नहीं खर्च कर संरेंडर किया गया तो आन्दोलन किया जायेगा।