आत्मज्ञान से ही परमात्मा की पहचान : मनकेश्वरानंद

एनपीटी गोड्डा ब्यूरो
गोड्डा :: महर्षि मेंही ट्रस्ट की ओर से स्थानीय प्रोफेसर कालोनी में संतमत सत्संग का आयोजन शनिवार को किया गया। इस अवसर पर भागलपुर के संत मनकेश्वरानंद ने कहा कि जो आनंद मन से संतों के वचन को सुनते हैं, उन्हें मरने के बाद नहीं बल्कि शरीर रहते ही चारों फलों यथा अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। इस संसार को दुख का प्रदेश कहा गया है। इसे मृत्यु लोक भी कहा गया है। यहां माया का राज है। जिस शरीर को हम अमर मान रहे हैं उसका भी एक न एक दिन नाश होने वाला है। परमात्मा को हम इस आंख से नहीं देख सकते हैं। उसे देखने के लिए चेतन आत्मा ही सामर्थ्यवान हैं। इसके लिए प्रभु की भक्ति व द़ष्टि की जरुरत है। इसमें जाग्रत की दृष्टि, स्वप्न की दृष्टि, मानस की दृष्टि, दिव्य दृष्टि मुख्य हैं। परमात्मा को हम आत्मज्ञान के द्वारा ही जान सकते हैं। वेद का उपदेश है कि परमात्मा को जानने के लिए पहले सत्संग करना चाहिए। फिर मानस जप व मानस ध्यान , दृष्टियोग के माध्यम से परमात्मा को जान सकते हैं। सत्संग प्रचारक ओमप्रकाश मंडल ने कहा माता- पिता की सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है। इनकी सेवा से ही ईश्वर की भक्ति का पूर्ण फल प्राप्त होता है। इस धरा धाम पर लाने वाले ही माता-पिता हैं। इसलिए सबसे पहले उनकी ही पूजा को प्राथमिकता दी गई है। मौके पर जगदीश पंजियारा, शिवनारायण पंडित आदि ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर दर्जनों गणमान्य व साधक उपस्थित थे।