वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने योजना मद की आवंटन राशि जारी करने का दिया निर्देश

एनपीटी,
झारखण्ड वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने मीडिया से कहा है कि राज्य के सभी विभागों को 7 मई 2025 तक योजना मद की आवंटन राशि जारी करने का आदेश दिया गया है। राजस्व विभागों को प्रत्येक तीन महीने में राजस्व संग्रहण की समीक्षा करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही वित्त व वाणिज्यकर विभाग के अधिकारी प्रमंडल स्तर पर राजस्व संग्रहण की समीक्षा करेंगे। वित्त विभाग खुद भी छह माह में एक बार वित्तीय संग्रहण की समीक्षा करेगा। केंद्रीय सरकार के यहां बकाए 1.36 लाख करोड़ के भुगतान के सवाल पर उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि संघीय व्यवस्था में राज्य सरकार को यह राशि मिलनी चाहिए। कहा कि केन्द्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने भी स्वीकार किया है कि झारखण्ड का बकाया है। पर वास्तविक आंकड़े के लिए केन्द्र और राज्य सरकार के बीच एक उच्चस्तरीय बैठक करने की जरूरत बतायी गयी है। झारखंड हाईकोर्ट से इस बकाया राशि के मुद्दे पर राज्य सरकार को राहत नहीं मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खुला है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि अब झारखंड केंद्र पर ही निर्भर नहीं रहेगा। बगैर टैक्स बढाए अपना वित्तीय प्रबंधन कुछ इस तरह मजबूत करेगा कि उसे अपनी योजनाओं के कार्यान्वयन और विकास के लिए याचक की भूमिका में नहीं रहनी पड़े। वित्त मंत्री वाणिज्यकर सचिव अमिताभ कौशल और वित्त विभाग के विशेष सचिव अमीत कुमार के साथ मीडिया कर्मियों से बातचीत कर रहे थे। इसमें उन्होंने 2024-25 में राज्य की वित्तीय स्थिति, वित्तीय प्रबंधन और भावी रणनीतिक जानकारी दी। वित्त मंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में ग्रांट इन एड से 1691 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद थी। लेकिन 9063 करोड़ ही मिला। इस मद में हुई कमी को लेकर वह केंद्र सरकार के मंत्री से मिलेंगे। ग्रांट इन एड की राशि में किसी प्रकार की कटौती नहीं करने का आग्रह करेंगे। इसके अलावा उन्होंने वित्तीय वर्ष 2024-25 में विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त राजस्व का भी आंकड़ा दिया। उन्होंने बताया कि केंद्रीय करों में हिस्सेदारी, ग्राट इन एड, वाणिज्यकर, लैंड रेवेन्यु, उत्पाद आदि से 106999 करोड़ की प्राप्ति का लक्ष्य था। इसके विरुद्ध 92189 करोड़ की राशि प्राप्त हुई, जो 86.16 फीसदी है। 1.31 लाख करोड़ के लक्षित व्यय के विरुद्ध 1.18 लाख करोड़ व्यय हुआ।उन्होंने बताया कि एफआरबीएम की तीन फीसदी की सीमा के भीतर राज्य सरकार ने मात्र 2.27 प्रतिशत की सीमा में ऋण लिया। वाणिज्य कर आयुक्त अमीत कुमार ने बताया कि जीएसटी, एसजीएसटी, वैट सहित कई अन्य पोर्टल को इंटिग्रेटेड करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। इससे टैक्स की वसूली व राजस्व प्राप्ति संबंधी सभी आंकड़े एक साथ मिल सकेंगे। अनियमिताएं कम होंगी। वित्त मंत्री ने बार बार कहा कि उनकी पीएल एकाउंट पर कड़ी नजर है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष के अंत में प्राप्त राशि को पीएल एकाउंट में रखने की मजबूरी हो जाती है। लेकिन दो साल से अधिक उस राशि को रखना वित्तीय प्रबंधन के खिलाफ है। बैड मैनेजमेंट है। 2010-11 से भी पीएल एकाउंट में राशि पार्क है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में वाणिज्य कर विभाग ने 26000 करोड़ रुपए वसूली का लक्ष्य निर्धारित किया था। इसके विरुद्ध विभाग ने 22292 करोड़ की वसूली की। यह लक्ष्य का 85.74 फीसदी है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में विभाग ने 26500 करोड़ का लक्ष्य निर्धारित किया है।