राज्य सरकार का केन्द्र को जवाब, नियम के तहत डीजीपी अनुराग गुप्ता की नियुक्ति, मामला कोर्ट में लंबित, पद से हटाना सही नहीं

एनपीटी,
केन्द्र सरकार द्वारा झारखण्ड डीजीपी अनुराग गुप्ता के सिवा बिस्तर पर रोक लगाने के बाद राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर कानूनी राय लेने के पश्चात अपना जवाब भेजा है। 30 अप्रैल 2025 को केन्द्र सरकार के आदेश पर आज सहमति जताते हुए अपना जवाब भेजा है। केन्द्र को भेजे गये जवाब में डीजीपी की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार द्वारा बनाये गये नियम को सही बताया गया है। कहा है कि सरकार द्वारा बनाया गया नियम सुप्रीम कोर्ट के दिशा- निर्देशों के अनुरूप है। राज्य सरकार ने पुलिस अधिनियम में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए डीजीपी की नीति बनाई है। पत्र में यह कहा गया है कि डीजीपी की नियुक्ति के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में भी मामला लंबित है। कोर्ट को अभी तय करना है कि अनुराग गुप्ता की नियुक्ति नियमों के अनुरूप है या नहीं। इसलिए इस मुद्दे पर कोर्ट का फैसला आने से पहले ही उन्हें पद से हटाना सही नहीं है। झारखण्ड की हेमन्त सरकार ने 27 जुलाई 2024 को पुलिस महानिदेशक यानी डीजीपी बनाया गया था। अनुराग गुप्ता ने अजय कुमार सिंह से प्रभार लिये थे। लेकिन विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने प्रभारी डीजीपी के पद से अनुराग गुप्ता को हटा दिया था। विधानसभा चुनाव में सरकार गठित होने के बाद तुरन्त मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अनुराग गुप्ता को डीजीपी पद पर फिर से तैनात कर दिया। डीजीपी पद पर नियुक्ति के लिए एक विशेष नियमावली बनाई गई। जिसके आधार पर अनुराग गुप्ता को राज्य का स्थाई पुलिस महानिदेशक बना दिया गया। इस पद पर उनका पदस्थापन दो वर्षों के लिए हुआ। राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार 26 जुलाई 2026 तक के लिए अनुराग गुप्ता पुलिस महानिदेशक बने रहते। लेकिन राज्य सरकार के द्वारा नियमावली बनाकर अनुराग गुप्ता को पुलिस महानिदेशक बनाये जाने का निर्णय सवालों के घेरे में आ गया। इस पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी चले। इधर केन्द्र सरकार ने अनुराग गुप्ता की नियुक्ति पर अपना मंतव्य दिया है। इसमें नियुक्ति को गलत बताया गया है।