खैरथल

पूर्व सैनिक पर हमले से नाराज खैरथल के लोग 

संयुक्त व्यापार महासंघ अध्यक्ष के नेतृत्व में थाने में की नारेबाजी

 निष्पक्ष जांच,परिवार की सुरक्षा और न्याय की मांग करते थानाधिकारी को सौपा ज्ञापन 

खैरथल। 1971 की जंग में देश की रक्षा करने वाले पूर्व सैनिक रतनसिंह चौधरी आज खुद के और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए न्याय की भीख मांगने को मजबूर हैं। 4 मई की रात उनके परिवार पर हुए जानलेवा हमले के बावजूद 10 मई तक पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज न किए जाने से शहर में रोष की लहर दौड़ गई है।

शनिवार को खैरथल संयुक्त व्यापार महासंघ के अध्यक्ष ओमप्रकाश रोघा के नेतृत्व में क्षेत्र के विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने थाना अधिकारी राकेश मीणा को ज्ञापन सौंपकर पीड़ित परिवार को न्याय और सुरक्षा प्रदान करने की मांग की। इस मौके पर स्वयं रतनसिंह को थाने बुलाया गया और उनसे घटनाक्रम की जानकारी ली गई।

थाना प्रभारी राकेश मीणा ने निष्पक्ष जांच और आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

 थाना परिसर में महासंघ अध्यक्ष ओमप्रकाश रोघा ने कहा कि खैरथल का हर नागरिक रतनसिंह और उनके परिवार के साथ है। प्रशासन को चेतावनी दी जाती है कि जल्द से जल्द आरोपियों पर सख्त कार्रवाई करे, वरना व्यापारी वर्ग और समाज आंदोलन करने को बाध्य होगा।

ज्ञापन सौंपने वालों में समाजसेवी रवि चौधरी, नामदेव रामानी,भारतीय सिंधु सभा अध्यक्ष नत्थूमल रामनानी, पुरुषार्थी प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष सेवक लालवानी,मुखी टीकमदास मुरजानी,राजकुमार

आसीजा,प्रहलाद छंगाणी, दिनेश कौशिक,पूर्व पार्षद महेंद्रपाल सिंह, बलबीर सिंह,हरीश जयवानी, संजय गंगवानी,पहाड़ी हनुमान मंदिर पर माता मंदिर के महंत मायाशंकर

,वासुदेव प्रदनानी,किशोर वाधवानी,बसंत चौधरी, ईश्वर मुंजवानी सहित अनेक नागरिक उपस्थित रहे।

इस मौक़े पर 76 वर्षीय पूर्व सैनिक रतन चौधरी का कहना है,मैंने जिंदगी भर देश की सेवा की,लेकिन आज जब मेरा परिवार असुरक्षित है, तो पुलिस-प्रशासन मेरी कोई मदद नहीं कर रहा। अगर हमें न्याय नहीं मिला, तो आत्महत्या के सिवा कोई रास्ता नहीं बचेगा।

हमले का पूरा घटनाक्रम…

4 मई की रात लगभग 11:15 बजे रतनसिंह के खैरथल स्थित आवास पर दो बाइक सवार हथियारबंद युवकों इशु,कार्तिक पुत्र मुकेश, हरसौली, और चिराग उर्फ मोनी पुत्र जगदीश, खैरथल ने धावा बोल दिया। सुरक्षा पर तैनात तिलक को जाति सूचक गालियां देते हुए जान से मारने की धमकी दी गई। जान बचाकर वह घर में छिप गया। इतने में रतनसिंह का बेटा नरेंद्र बाहर आया, जिस पर लाठी, सरिए और गोली से हमला किया गया। गनीमत रही कि गोली दीवार में लगी और नरेंद्र की जान बच गई।

पीड़ित परिवार का आरोप है कि घटना के दौरान पुलिस को बार-बार कॉल किया गया, लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला। थोड़ी देर में और भी बदमाश मौके पर पहुंचे जिनमें रिंकू, शीशराम और अन्य शामिल थे। आरोप है कि खुद को पुलिसकर्मी बताने वाले शीशराम ने खुलेआम कहा कि,राजस्थान पुलिस मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती।

गश्ती पुलिस के पहुंचने पर आरोपी भाग गए और पुलिस ने एक आरोपी कार्तिक को हिरासत में लिया। मगर अगली सुबह जब पीड़ित थाने पहुंचे, तब भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई।

गंभीर आरोप,न्याय की मांग….

पूर्व सैनिक ने यह भी बताया कि उनके परिवार पर पहले भी कई बार हमले हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। परिवार इस समय भारी मानसिक दबाव में है और खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है।

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