झारखंड

देवघर निवासी पत्थर कारोबारी की मुर्शिदाबाद में हत्या, जांच में जुटी पुलिस

एनपीटी,

झारखण्ड से सटे पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में एक दर्दनाक वृतांत प्रकाश में आया है, जहां एक पत्थर व्यवसायी की हत्या कर दी गई है। मिली जानकारी के मुताबिक पाकुड़ के एक पत्थर व्यवसायी की हत्या मुर्शिदाबाद जिला के सूती थाना क्षेत्र में कर दी गई। जिसकी पहचान आनंद राज घोष के रूप में की गई है। वो ट्रक के माध्यम से पत्थर का कारोबार करता था। मृतक पाकुड़ पुलिस लाइन के सामने एक मकान में भाड़ा लेकर रहता था। मृतक आनंद राज घोष मूल रूप से देवघर के निवासी थे। पश्चिम बंगाल के एक यूट्यूब चैनल पर चल रहे खबर के माध्यम से पता चला कि पाकुड़ के एक पत्थर करोबारी की हत्या सूती थाना क्षेत्र के मधुपुर गांव में कर दी गई है। बताया जाता है कि मृतक अपनी पत्नी और दो बच्चे के साथ यहां रहता था। एक भांजे अनुभव कुमार को कारोबार देख-रेख करने के लिए भी रखा था। पत्नी 3 महिना पहले बच्चों के साथ मायके (नेपाल) चली गई थी। तबसे मृतक आनंद राज घोष और भांजे यहां रहता था। बुधवार रात को दोनों एक साथ खाना खाया। उसके बाद ऑफिस में सोने के लिए भांजे को भेज दिया। सुबह जब भांजा अनुभव कुमार लौटा तो देखा कि जिस फ्लैट में रहता था, उसका दरवाजा खुला है। कुछ सामान बिखरा पड़ा था पर उनको लगा कि मामा कहीं निकले है, आ जायेगा। लेकिन दोपहर करीब 12 बजे सोशल मीडिया के माध्यम से पता चला कि आनंद राज घोष का लाश सूती थाना क्षेत्र में मिला है। लाश का फोटो देखकर भांजे ने उसकी पहचान की। उसके बाद जोर- जोर से रोने बिलखने लगे। आसपास के लोग भी जुटने लगे। फिर पत्नी समेत अन्य परिजनों को मामले की जानकारी साझा की।

कर्ज में डूबा था मृतक, बंगाल से लीज पर लाये थे हाइवा:

मीडिया रिपोर्ट्स में आयी खबरों के मुताबिक मृतक कारोबार करते- करते काफी कर्ज हो गया था। 4 हाइवा बंगाल से लीज पर भी लाये थे। उन्होंने कहा कि किस्त का राशि नहीं दे पाने से 3 हाइवा फाइनेंसर कम्पानी ने खींच लिया था। एक हाइवा को खड़ा कर रखा है। खबरों के मुताबिक समय पर किस्त नहीं चुकाने पर जिस ऑनर से हाइवा लीज पर लिया था, उनके साथ बीच- बीच में झमेला भी होता था। इधर कयास लगाया जा रहा है कि लेन-देन के लिए ही आनंद राज घोष की हत्या की गई होगी। जो जांच का विषय है। समाचार लिखे जाने तक मृतक आनंद राज घोष की हत्या के कारणों के सम्बन्ध में कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई।

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Nurul Islam

PRABHARI (MANDAL)

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