
नेशनल प्रेस टाइम्स,ब्यूरो।
मथुरा। वृंदावन में सप्त देवालयों में प्रमुख और वृंदावन की आध्यात्मिक पहचान माने जाने वाले ठाकुर मदनमोहन मंदिर की छत से हाल ही में हटाई गई हरियाली अब श्रद्धालुओं और ब्रजवासियों की चिंता का विषय बन गई है। मंदिर की छत पर वर्षों से उगी घास न केवल उसकी प्राचीनता और सौंदर्य को बढ़ा रही थी बल्कि श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र भी थी। अब घास हटाकर वहां पत्थर लगा दिए गए। इस कारण से लोगों को लग रहा है कि कॉरिडोर से मूल स्वरूप ही बदल जाएगा। यह मंदिर पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है, लेकिन हालिया बदलावों से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मंदिर के मूल स्वरूप और पर्यावरणीय सौंदर्य की उपेक्षा की जा रही है। ब्रजवासी इसे वृंदावन की पारंपरिक पहचान के विरुद्ध मानते हैं और आशंका जता रहे हैं कि कहीं यह परिवर्तन आने वाले समय में कॉरिडोर परियोजनाओं की तरह मंदिर की मौलिकता को प्रभावित न कर दे। कुछ समय पहले तक वृंदावन की गलियों, घाटों और मंदिरों में हरियाली स्वाभाविक रूप से दिखाई देती थी लेकिन अब यह हरियाली धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। ब्रजवासियों का कहना है कि आधुनिकता की दौड़ में मंदिरों की पारंपरिक छवि को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ठाकुर मदनमोहन मंदिर की छत से घास हटाकर पत्थर लगाना इसी बदलाव की एक कड़ी है। ब्रज संस्कृति शोध संस्थान के प्रशासनिक अधिकारी गोपाल शरण शर्मा ने कहा कि ब्रज की संस्कृति में वृक्ष, घास, मिट्टी और यमुना सब कुछ पूजनीय माने जाते हैं। मंदिर की हरियाली केवल सौंदर्य का हिस्सा नहीं थी, बल्कि वह ब्रज की भाव-परंपरा का प्रतीक थी। अब जबकि हरियाली हटाई जा रही है तो यह केवल एक दृश्य परिवर्तन नहीं बल्कि ब्रज की आत्मा पर चोट जैसी है।