गुरु रविदास जी महाराज छात्रावास ने मनाया हीरक जयंती वर्ष

सांसद चंद्रशेखर आज़ाद हुए मुख्य आकर्षण
75 वर्षों की प्रेरणादायक यात्रा को समर्पित एक ऐतिहासिक समारोह
सुरेंद्र मलानिया
नेशनल प्रेस टाइम्स,ब्यूरो।
बड़ौत/बागपत , गुरु रविदास जी महाराज छात्रावास ने अपनी 75वीं वर्षगांठ के शुभ अवसर पर हीरक जयंती समारोह का भव्य आयोजन कर इतिहास रच दिया।
छात्रावास के प्रांगण में आयोजित इस स्मरणीय समारोह में देशभर से सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी, छात्र, पूर्व छात्र और विशिष्ट जनप्रतिनिधि एकत्र हुए।
इस आयोजन के मुख्य अतिथि थे — नगीना लोकसभा से सांसद एवं आज़ाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, एडवोकेट चंद्रशेखर आज़ाद, जिनका छात्रावास परिवार ने सम्मान और उत्साह के साथ स्वागत किया।
समारोह की प्रमुख झलकियाँ
अध्यक्षीय नेतृत्व में सजी सादगीपूर्ण गरिमा
समारोह की अध्यक्षता छात्रावास अध्यक्ष नंदलाल ने की, जिन्होंने संस्थान की गौरवशाली विरासत को याद करते हुए कहा:
“यह छात्रावास केवल भवन नहीं, बल्कि हमारे समाज की चेतना और संघर्ष का प्रतीक है।“
मांगेराम लोहारी, एक वरिष्ठ समाजसेवी और छात्रावास के पूर्व संरक्षक, ने भावुक होकर कहा:
“हमने यहां सिर्फ शिक्षा नहीं पाई, बल्कि स्वाभिमान और अपने अधिकारों के लिए खड़े होने की ताकत भी सीखी।“
चंद्रशेखर आज़ाद का ओजस्वी उद्बोधन
मुख्य अतिथि एडवोकेट चंद्रशेखर आज़ाद ने अपने प्रेरणादायक भाषण में कहा:
“गुरु रविदास जी के विचार – ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ – आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। यह छात्रावास उनके विचारों का जीवंत स्वरूप है।“
उन्होंने सामाजिक न्याय, समान शिक्षा और दलित-बहुजन युवाओं के लिए समान अवसरों पर बल देते हुए घोषणा की:
“मैं संसद से लेकर सड़क तक इस छात्रावास की समस्याओं और आवश्यकताओं को उठाऊंगा।“
सम्मान समारोह और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ
इस दौरान पूर्व छात्रों को समाज में उनके योगदान हेतु सम्मानित किया गया।
छात्रों द्वारा प्रस्तुत गुरु रविदास जी के जीवन पर आधारित नृत्य-नाटिका ने उपस्थित जनसमूह को भावुक कर दिया।
नगर पालिका अध्यक्ष अश्विनी तोमर का समर्थन आश्वासन
बड़ौत के नगर पालिका अध्यक्ष अश्विनी तोमर ने कहा:
“ऐसे संस्थानों को नगर स्तर से हर संभव सहयोग दिया जाएगा, जिससे यहां से निकली प्रतिभाएं देश को दिशा दें।“
डॉ. सत्येंद्र कुमार का वैचारिक प्रकाशन
रविदास महासभा के मीडिया प्रभारी डॉ. सत्येंद्र कुमार ने अपने संबोधन में गुरु रविदास और बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों की गूंज सुनाई:
“जब तक हर बच्चा शिक्षित नहीं होगा, तब तक सामाजिक परिवर्तन अधूरा रहेगा। छात्रावास ऐसी ही क्रांति की नींव है।“
भविष्य की योजनाएँ और प्रेरणा
छात्रावास को आने वाले वर्षों में डिजिटल क्लासरूम, स्कॉलरशिप सेल और कोचिंग सुविधा से सुसज्जित करने की योजना सामने रखी गई।
सभी वक्ताओं ने इस दिशा में समूहिक प्रयास और स्थानीय प्रशासन से समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया।
धन्यवाद और समापन
समारोह का समापन भावुकता और आत्मगौरव के साथ हुआ। छात्रावास परिवार ने दूर-दराज़ से आए सभी सदस्यों, कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों और मेहमानों का आभार जताया।
“75 वर्षों की यह यात्रा न केवल अतीत की गवाही है, बल्कि भविष्य की चुनौती भी है।“