नौरंग उस्ताज जब पहुंचे मितली वाटर वर्ल्ड,बागपत की माटी ने किया अपने लाल का भव्य स्वागत

सुरेंद्र मलानिया
बागपत, मितली। देसी अंदाज़, ठेठ ह्यूमर और सामाजिक व्यंग्य से सोशल मीडिया पर छा चुके बागपत के लाल राजेंद्र कश्यप उर्फ नौरंग उस्ताज जब मितली गांव स्थित ओसियन पार्क वाटर वर्ल्ड पहुंचे, तो वहां जनसैलाब उमड़ पड़ा। पूरे इलाके में माहौल एक उत्सव जैसा बन गया – लोगों की आंखों में चमक थी और दिलों में गर्व।
गांव की गलियों से लेकर डिजिटल दुनिया तक
राजेंद्र कश्यप ने अपने सफर की शुरुआत उत्तर कुमार वेब सीरीज़ से की थी और आज उनके नाम से यूट्यूब पर 1000 से भी अधिक वीडियोज़ हैं। उनके फॉलोवर्स की संख्या करोड़ों में है और हर पीढ़ी के दर्शक उनके कंटेंट से जुड़ाव महसूस करते हैं।उनका अंदाज़ सादा है, लेकिन असरदार। वह न केवल हंसाते हैं, बल्कि सोचने पर भी मजबूर कर देते हैं,यही उनकी खासियत है।
इस विशेष अवसर पर उनके साथ मंच साझा करने वालों में कई जाने-माने नाम मौजूद रहे:
सुनील त्यागी, गोविंद सैनी, टिंटू बिहारी, गुड्डू पंडित, शोकिंद्र पाल, सक्षम लड्डू (छोटा नौरंग), पिंटू त्यागी, दीपक त्यागी, और सुरेंद्र मलानिया। इन सभी की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और अधिक गरिमामय बना दिया।
सुरेंद्र मलानिया, जो क्षेत्र के सामाजिक सरोकारों और लेखन में सक्रिय भूमिका निभाते हैं, उन्होंने नौरंग उस्ताज की यात्रा को विशेष रूप से कवरेज दी और जनता के साथ संवाद किया।
भीड़ का सैलाब और फैंस का जुनून
नौरंग उस्ताज की एक झलक पाने को फैंस घंटों इंतजार करते रहे। सेल्फी लेने की होड़, वीडियो बनाने की जिद और उनसे बात करने की उत्सुकता – यह सब उस मोहब्बत का सबूत था जो लोगों के दिलों में उनके लिए है।
ऑनर सचिन ठाकुर का विशेष योगदान
इस भव्य कार्यक्रम के सफल आयोजन में ओसियन पार्क के ऑनर सचिन ठाकुर का विशेष सहयोग रहा। उन्होंने न सिर्फ आयोजन को भरपूर समर्थन दिया, बल्कि व्यक्तिगत रूप से व्यवस्थाओं का ध्यान रखा।
सचिन ठाकुर एक युवा और दूरदर्शी उद्यमी हैं, जो बागपत के पर्यटन और सामाजिक गतिविधियों को नया आयाम देने में जुटे हैं। उनके सहयोग के बिना यह आयोजन इस स्तर पर संभव नहीं हो पाता।
सोशल मीडिया पर धमाल
इस मुलाकात की तस्वीरें और वीडियो अब सोशल मीडिया पर धूम मचा रहे हैं।
नौरंग उस्ताज का मितली आगमन सिर्फ एक विज़िट नहीं था – यह एक भावनात्मक मिलन था उस जमीन से, जिसने उन्हें जन्म दिया। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि देसी जड़ें और डिजिटल पंख मिलकर एक ऐसी उड़ान भर सकते हैं, जो हर गांव के नौजवान को प्रेरित करे।