मध्य प्रदेश

बीएमओ करवाएंगे जांच

108 एम्बुलेंस के ड्राइवर ने की गरीब परिवार से वसूली

नेशनल प्रेस टाइम्स, ब्यूरो।

बालाघाट(म0प्र0) : सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को गरीब जनता के लिए मुफ्त करार देती हो,लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।औल्याकन्हार निवासी पुष्पा भारद्वाज की बेटी मोनिका शिववंशी के साथ जो हुआ,वह सरकारी योजनाओं और जमीनी अमल के बीच की खाई को उजागर कर रहा है।जानकारी अनुसार,मोनिका का विवाह उकवा के बिठली गांव के मनीष शिववंशी से हुआ था। लेकिन बिठली गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के चलते मोनिका प्रसव के लिए अपने मायके औल्याकन्हार आ गई थी। बुधवार 21 तारीख को मोनिका को अचानक प्रसव पीड़ा हुई तो परिवारजनों ने सरकारी 108 एम्बुलेंस सेवा पर फोन किया।   

       बताया जा रहा है कि जब एम्बुलेंस औल्याकन्हार पहुंची, तो ड्राइवर ने मरीज को सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र तक ले जाने के लिए खर्चा-पानी के रुप में रुपये मांगे। परिवार की मजबूरी थी, इसलिए उन्होंने यह राशि दे दी।

  यहीं कहानी खत्म नहीं होती। जब मोनिका को औल्याकन्हार से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया,तो वहां प्रसव संभव नहीं हो पाया। हालत बिगड़ने पर शाम 7:30 बजे मोनिका को जिला अस्पताल बूढ़ी रेफर कर दिया गया। इस बार एम्बुलेंस ड्राइवर ने बालाघाट पहुंचते ही रुपये की मांग कर दी। मोनिका के परिजनों ने मरीज की हालत को देखते हुए अनिच्छा से यह राशि भी दे दी।

         मामले को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लालबर्रा के बीएमओ डॉ. ऋत्विक पटेल से चर्चा की गई तो उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें इस प्रकार की वसूली की जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा, “आपके माध्यम से यह जानकारी मुझ तक पहुंच रही है। मैं इस मामले को गंभीरता से लूंगा और विभागीय उच्चाधिकारियों को अवगत कराकर जांच के निर्देश दूंगा। किसी भी गरीब मरीज से अवैध रूप से पैसा वसूलना घोर अनुचित है। हमारी कोशिश हमेशा यह रहती है कि मरीजों को मुफ्त और समय पर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें।”

        बताया जा रहा है कि यह एम्बुलेंस आरंभा केंद्र से आई थी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ड्राइवर द्वारा की गई यह वसूली महज एक व्यक्ति की मनमानी है या फिर सिस्टम में कोई और खामी है?

सरकार की मुफ्त सेवाओं पर कालिख पोत रहा ड्राइवर का लालच

    सरकार की मंशा है कि देश के अंतिम व्यक्ति तक मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचे। लेकिन अगर एम्बुलेंस जैसी आपातकालीन सेवाओं में भी गरीबों को मजबूरी में पैसे देने पड़ें, तो यह न केवल नियमों का उल्लंघन है,बल्कि मानवता के भी खिलाफ है। गरीब परिवार के लिए रुपयों की यह अनचाही वसूली बोझ का काम करती है। यह घटना स्वास्थ्य विभाग के लिए एक चेतावनी है कि सिस्टम को दुरुस्त करना बेहद जरूरी है।

जिम्मेदार कौन….?

  ड्राइवर की यह हरकत सवालों के घेरे में है। वहीं, डॉ. ऋत्विक पटेल की स्पष्टता और तत्परता सराहनीय है कि उन्होंने मामले को गंभीरता से लिया और जांच का भरोसा दिलाया। उम्मीद है कि विभाग इस मामले की तह तक जाएगा और दोषियों पर कार्रवाई करेगा ताकि भविष्य में किसी गरीब को इस तरह की असहायता का शिकार न होना पड़े।

       सरकार की नीतियां तभी सफल मानी जाएंगी जब उन पर अमल करने वालों की नीयत साफ हो। वरना एम्बुलेंस जैसी लाइफलाइन भी एक ‘कमाई का जरिया’ बन जाएगी और गरीबों का जीवन संकट में फंसा रह जाएगा।

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