
नेशनल प्रेस टाइम्स,ब्यूरो।
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की फलस्तीन सॉलिडेरिटी असेंबली ने शुक्रवार को कड़े शब्दों वाला एक प्रस्ताव पारित कर पिछले 20 महीनों से गाजा में इजराइल द्वारा किए गए नरसंहार की निंदा की। विद्यार्थियों और संकाय सदस्यों द्वारा समर्थित प्रस्ताव में इजराइल पर नाजी जर्मनी के फाइनल सॉल्यूशन अभियान की याद दिलाने वाली सैन्य कार्रवाई करने का आरोप लगाया गया और जोर देकर कहा कि इजराइल के कृत्यों ने उसे सभ्य राष्ट्र माने जाने से अयोग्य बना दिया है। असेंबली ने व्यापक विनाश और जानमाल के नुकसान पर प्रकाश डालते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निष्क्रियता और अमेरिका जैसे देशों द्वारा दिए गए खुले समर्थन की आलोचना की। बयान के मुताबिक, यह नरसंहार ही इजराइल को ‘सभ्य राष्ट्रों’ के समूह में गिने जाने के उसके अधिकार को पूरी तरह से छीनने के लिए पर्याप्त है। प्रस्ताव में भारत सरकार से इजराइल से दूरी बनाने और फलस्तीनी मुद्दे पर ऐतिहासिक समर्थन की पुष्टि करने का भी आग्रह किया। प्रस्ताव में हिंसा को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने और इजराइल को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुसार फलस्तीनी राज्य को मान्यता देने के लिए मजबूर करने का आह्वान किया गया। प्रस्ताव के मुताबिक, असेंबली विशेष रूप से भारत सरकार से इजराइल के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित करने की नीति को समाप्त करने और फलस्तीन पर भारत की दीर्घकालिक स्थिति को प्रभावी ढंग से बनाए रखने तथा सभी प्रकार के नस्लवाद को अस्वीकार करने का आह्वान करती है। असेंबली ने फलस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की और उनके विपरीत बाधाओं के बावजूद संघर्ष जारी रखने के साहस व दृढ़ संकल्प की प्रशंसा की।