बरेली

निधि घोटाला प्रकरण गिरफ्तारी के डर से भाजपा नेता समेत सभी आरोपी फरार

नेशनल प्रेस टाइम ,ब्यूरो।

बरेली। अमर ज्योति यूनिवर्स निधि घोटाले में बदायूं में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद निदेशक भूमिगत हो गए हैं। खुद को पाक-साफ बता रहे भाजपा नेता सूर्यकांत मौर्य ने नए दफ्तर से भी सामान समेट लिया है। घोटाला करीब आठ सौ करोड़ रुपये का बताया जा रहा है। इस फर्जीवाड़े में कई साल मलाई काटने के बाद सूर्यकांत ने बदायूं की कंपनी से निदेशक का पद छोड़ दिया था। कंपनी के निदेशक शशिकांत मौर्य, उसके भाई सूर्यकांत, मैनेजर अमित सिंह, एजेंट सुनील बाबू मौर्य और अन्य के खिलाफ बदायूं कोतवाली में निवेशक असद अहमद की ओर से बीते दिनों रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। निदेशकों समेत ज्यादातर आरोपी बरेली के निवासी हैं, जबकि सूर्यकांत भाजपा की बरेली महानगर इकाई का मंत्री है। सूर्यकांत मौर्य भाजपा में महानगर मंत्री है। इसलिए उससे उपकृत होने वाले नेता और पदाधिकारी अब तक उसे बचाने के लिए पैरवी कर रहे थे। अब उसके खिलाफ रिपोर्ट होने और हेरफेर की बात सामने आने पर नेताओं ने किनारा कर लिया है। ऐसे में अब दोनों भाइयों और उनके गुर्गों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। मुकदमे में नामजद होने के बाद पार्टी नेतृत्व भी सूर्यकांत को बाहर का रास्ता दिखा सकता है। वहीं, एसआईटी भी दोनों भाईयों की संपत्तियों पर नजर रखे हुए हैं।

अभी तक शशिकांत अपने परिवार समेत लापता था, अब सूर्यकांत भी गिरफ्तारी के डर से खिसक गया है। पहले सूर्यकांत अपनी कंपनी का दफ्तर घर में ही चलाता था। करीब पंद्रह दिन पहले उसने पीलीभीत बाइपास पर खूबचंद्र मौर्य की दुकान में तीसरी मंजिल पर दफ्तर खोला था। कंपनी का फर्नीचर, कंप्यूटर व कुछ रिकॉर्ड यहां लाकर रखा और कंपनी का नाम भी पेंट कराया। 

खूबचंद्र ने बताया कि दस हजार रुपये महीना किराया तय हुआ था। दस दिन में ही सूर्यकांत ने दफ्तर को खाली कर दिया और कंपनी व अपने नाम को पुतवा दिया। इसी तरह का कारनामा उसने अपने घर के बाहर लगे बोर्ड पर किया था। हालांकि, यहां एक साइड का बोर्ड ही पोता जा सका, तब तक भीड़ ने पेंटर को भगा दिया।

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