ग्राम थापली कफोलस्यूं में भूमी भूमियार देवता श्री भैरवनाथ जी के नवनिर्मित मंदिर पर भव्य आयोजन

नेशनल प्रेस टाइम्स,ब्यूरो।
पौड़ी गढ़वाल। जनपद के थापली गांव एक बार फिर मां ज्वालपा देवी की असीम कृपा से अपने आलौकिक गौरव और ख्याती की ओर अग्रसर है। इसका कारण यहां बना नवनिर्मित भैरवनाथ जी का दर्शनीय मंदिर जिसके कारण ग्राम से 150 साल पहले शिक्षा, चिकित्सा आदि को लेकर विषम परिस्थितियों रोजगार के लिए पलायन किए परिवार भी इसके नवनिर्माण में एकजुट होकर जुड़े और 9 महीने में ही यह भव्य ग्राम देवता का मंदिर बनकर तैयार हो गया। जिसने भी मन्दिर देखा वो स्तब्ध रह गया। यह मंदिर लगभग 50 फुट ऊंचा है और कई किलोमीटर दूर से नजर आता है। रात में लाईट की चमचमाती रोशनी और सजावट से इसका नजारा दिव्य हो जाता है। पुराने भैरवनाथ जी भी जस के तस स्थापित हैं और मां ज्वालपा देवी और भैरवनाथ जी की नई मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा, पूजा अर्चना कर स्थापित की गईं है। मंदिर के दो तल हैं और उपर 26 फीट का शिखर है, फिर कलश और केसरी रंग की पताका है। 30 मई से थापली ग्राम प्रवासी दूर दूर से गांव पहुचने लगे। मां ज्वालपा का आशीर्वाद लेकर पुनः 31 को गांव पहुंचे और प्रातःकाल से मंदिर के सौंदर्यीकरण में लग गए। रात्री में गांव की सुख शांती, समृद्धि और सुरक्षा के लिए चौबट्टा पूजन का आयोजन किया गया। एक जून को प्रतिबंधित दिन था और ग्राम में विशेष धार्मिक परम्परा का निर्वहन किया गया। दो जून को जल्दी उठकर एवं उपवास रखकर सभी गांव की महिलाओं के संग कलश यात्रा में पैदल सम्मलित हुए और गस गाड़ने के लिए आम के डाला (सीम) पर पहुंचे और वहां पूजा-पाठ कि गई, ध्वज पताका (निशान) के संग मां ज्वालपा देवी के लिए प्रस्थान किया गया और पूजा कर मां का आशीर्वाद और अखंड ज्योत लेकर समस्त ग्राम वासी कलश यात्रा को पूर्ण कर मंदिर पहुंचे जहां ज्योत को रखा गया। रात्री में आरती के पश्चात जागर मणडान का आयोजन रहा। देवी देवताओं का आवाह्न किया गया जो देर रात तक चला। तीन जून को सुबह दोनों मूर्तियों का पूजन किया गया, शाम को आरती और रात्रि को जागर हुआ। 4 जून की सुबह पूजा-अर्चना कर भव्य डोली निकाली गई और पूरे गांव का लंबा चक्कर लगाया गया। मां ज्वालपा और भैरवनाथ जी की मूर्ती की प्राण प्रतिष्ठा पूजा कर उन्हें उचित सम्मान से मंदिर में स्थापित किया गया। शिखर पर कलश और केसरी पताका लहराई गई। जागर, यज्ञ विसर्जन, आरती और भंडारे के साथ यह आलौकिक कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। ग्राम थापली विकास समिति ने टीम के सदस्यों को विभिन्न जिम्मेदारी दी। विगत सौ साल बाद ऐसी भव्य रौनक ग्राम थापली में एक बार फिर देखी गई। मंदिर तक सुगम मार्ग और पार्किंग का अच्छी व्यवस्था रही। कार्यकारिणी (समन्वय समिति) में मुख्यतः मंजुल थपलियाल, सुधीर थपलियाल, अजीत थपलियाल, प्रदीप मिश्रा, बिमल थपलियाल, कमल थपलियाल, श्रीधर प्रसाद नैथानी, भूवन थपलियाल, अतुल थपलियाल, जे.पी थपलियाल, एस.पी थपलियाल, कुलदीप थपलियाल, किरण रावत, विश्वनाथ थपलियाल, हेमंत थपलियाल, सुशील मिश्रा, शिब्बू थपलियाल, राजेन्द्र सुंदरियाल, कुसुम नैथानी, राकेश बहुगुणा, अनिल जुगरान, धर्मेंद्र रावत, नरेश मिश्रा, रचना मिश्रा, सुनिता रावत, अनिता रावत, अनुज थपलियाल, रितु रावत, सीमा रावत, दुर्गेश नैथानी, संदीप थपलियाल, लोका मिश्रा, चिंटू रावत, अज्जू रावत, महेंद्र रावत,गणेश जुयाल और गणेश मिश्रा ऐवम समस्त साथी गण सम्मलित रहे।
