गोड्डा बिजली व्यवस्था बदहाल, जनता त्रस्त, अब होगा जन आन्दोलन
Godda electricity system is in bad shape, people are distressed, now there will be a public movement

बासु कुमार मरीक
नेशनल प्रेस टाइम्स ब्यूरो, गोड्डा (झा०खं०), जिले की बिजली व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। जिस जिले में देश के बड़े बिजली उत्पादक संयंत्र – अदानी पावर प्लांट स्थित है, वहां की स्थिति “चिराग तले अंधेरा” जैसी हो गई है। जहां से कोयले और बिजली का उत्पादन होता है, वही के स्थानीय लोग अंधेरे में जीने को मजबूर हैं। यहां बिजली विभाग स्मार्ट मीटर लगाने में तो अत्यधिक रुचि लेता है, लेकिन अपनी “स्मार्ट व्यवस्था” को लेकर कभी चिंतित नहीं दिखता। स्थिति यह है कि जिले के किसी भी ट्रांसफार्मर में AV (Auto Voltage) स्विच तक नहीं लगा है। अगर किसी भी फीडर में फेज उड़ जाए, या तार गिर जाए, तो पूरे इलाके की बिजली घंटों बाधित रहती है। सुधार के बाद भी एक साधारण मैसेज भेज दिया जाता है कि आपको 10MW, 12MW या 14MW बिजली उपलब्ध है, जबकि जिले की वास्तविक मांग 40 मेगावाट से अधिक है। यह आंकड़ा गोड्डा की उपेक्षा का प्रतीक है। दुःख की बात यह है कि यहां के जनप्रतिनिधि सिर्फ चुनाव के समय “मैं आपका बेटा हूं”, “आपकी समस्या मेरी समस्या है” जैसे भावुक वादे करते हैं, लेकिन चुनाव के बाद पांच वर्षों तक वे इस क्षेत्र की समस्याओं से मुंह मोड़े रहते हैं। बिजली की यह बदहाली न केवल आम जनजीवन को प्रभावित कर घीरही है, बल्कि पढ़ाई, कारोबार, स्वास्थ्य, खेती और विकास कार्यों पर भी बुरा असर डाल रही है।जनता आज सोशल मीडिया पर अपनी पीड़ा साझा कर रही है, लेकिन सिर्फ फेसबुक पोस्ट और व्हाट्सएप फॉरवर्ड से हालात नहीं बदलेंगे। हमें अब सड़कों पर उतरकर, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण जन आन्दोलन के जरिए अपनी आवाज को मजबूती से उठाना होगा। सौरभ परासर एक जागरूक नागरिक के रूप में जिले के तमाम नागरिकों, युवाओं, महिलाओं, छात्रों और वरिष्ठ जनों से अपील करता हूं कि अब चुप रहना छोड़िए, क्योंकि जुल्म सहना भी एक प्रकार का अपराध है। जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता और बिजली विभाग की उदासीनता के खिलाफ हमें संगठित होकर आवाज बुलंद करनी होगी। अब वक्त है एक जन आन्दोलन खड़ा करने का, ताकि प्रशासन और जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारियों को समझें और जिले को उसका वाजिब हक मिले। स आन्दोलन की शुरुआत जल्द की जायेगी, जिसकी रूपरेखा जल्द साझा की जायेगी। आप सभी से निवेदन है घर से निकलें, सड़कों पर आएं क्योंकि अधिकार मांगने से नहीं, आवाज उठाने से मिलते है।