गोड्डा

सिंचाई को लेकर अभी से चिंतित हैं जिले के किसान

नेशनल प्रेस टाइम्स,ब्यूरो।
गोड्डा : जून का माह चल रहा है, किसान अपने -अपने खेतों में धान का बीज बो रहे हैं या बोना चालू कर चुके हैं। “जिसे क्षेत्रीय भाषा में धान का बिचड़ा बोना कहते हैं। धान बीज का बाजार दर  मनमाने और अनमने तरीके से दुकानदार वसुली कर रहे हैं। परन्तु अबतक सरकार के तरफ़ से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है कि किसानों को धान का बीज कब तक मुहैया कराया जाएगा। खैर किसान धान के बीज को जैसे तैसे लगा ही लेंगे लेकिन फसल के लिए सिंचाई को लेकर किसान अभी से परेशान हैं। मानसून आधारित खेती का सबसे ज्यादा खामयाजा किसानों को उठाना पड़ता है। कब मानसून दगा दे जाए और किसानों की मेहनत पर पानी गिर जाए। हालांकि सिंचाई के लिए जिले में संसाधन की कोई कमी नहीं है। गोड्डा में तो नदी भी है और वीयर भी है। हालांकि हरणा उतरी और दक्षिणी दोनों वीयरो में जल ठहराव या जमाव का कोई प्रबंध और श्रोत नहीं है। बात करते हैं गोड्डा जिला के सदर प्रखंड के हरणा वीयर उतरी की यह वीयर का निर्माण देश की आजादी के ठीक कुछ वर्ष बाद हुआ था। इस वीयर से लगभग 5000 एकड़ से अधिक भूमि सिंचित होता है।‌ गोड्डा जिला के तीन प्रखंडों को धान की सिंचाई के लिए पानी किसानों के सीधे खेतों तक उपलब्ध कराता है।  गोड्डा प्रखंड में आने वाले पंचायत और गांव- मारखन, कठौन‌, कसवा गोड्डा, भेड़ा, चरका कोल, राजपुरा, घाट कुशमनी, रतनपुर, तरवारा, मंजवारा, विशनपुर, डुमरिया, लुकुलुकी, पचरूखी, बड़ी कल्याणी, छोटी कल्याणी, पथारिया, गंगटा कला, खैरा धमसाय, सिघैय डीह, बसविटठा, चिलकारा, भलसुंडीहा, खरयानी, गोरसण्डा, चिलरा, चैनपुर होते हुए बसंतराय प्रखंड के महेशपुर आदि। परन्तु वर्तमान में इस वीयर का हाल यह है कि पानी को वीयर में रोक कर रखने वाला नदी में जो पक्की बांध है वो टूट चुका है जिसकी मरम्मती कराना बहुत ही आवश्यक है। नहीं तो वीयर में पानी ठहरेगा ही नहीं, सारा पानी नदी में बह जाएगा। जिसका परिणाम खेतों में सुखाड़ देखने को मिलेगा धान किसी भी तरह से अगर किसान रोपाई कर भी लेते हैं तो समय – समय पर पानी नहीं मिलने से फसल सुखा पड़ कर नष्ट होने की संभावना है।  2012 में वर्तमान विधायक संजय प्रसाद यादव के विधायक निधि के द्वारा सटर के जगह पक्की बांध सीमेंट और पत्थर से बंधवाया गया था जो अब जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच गया है। स्थानीय किसान राजकुमार भगत, विनय मंडल आदि का कहना है कि यदि समय रहते बांध की मरम्मती करा लिया जाए तो किसानों को फसल सिंचाई की चिंता अभी से नहीं करनी होगी।
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