सिंगरौली

 दो समितियों के साढ़े आठ लाख तेंदूपत्ता को ठेकेदार ने किया रिजेक्ट, 1200 श्रमिकों के भुगतान पर संकट के बादल

वन परिक्षेत्र बरगवां के गोरवानी समिति का मामला, मजूदरों को भुगतान मिलने का संभावनाएं दूर

नेशनल प्रेस टाइम्स,ब्यूरो।

सिंगरौली । वन परिक्षेत्र बरगवां के गोरवानी वन समिति अंतर्गत सिंधु बिखा झरिया समेत आधा दर्जन फड़ो के तेंदूपत्ता गड्डियों को ठेकेदार ने लेने से इंकार कर दिया। ऐसे तेंदूपत्ता गड्डियों की संख्या करीब साढ़े आठ लाख से ऊपर का है। ठेकेदार ने गुणवत्ताविहीन गड्डी होने का कारण बताकर रिजेक्ट किया है। जिसकी शिकायत फड़मुशियों ने कलेक्टर एवं डीएफओ के यहां की है। सिंध बिखा झरिया के फड़मुंशी प्रेमवति, पुष्पराज, संतोष, रीना साकेत, विविन्द्र सिंह समेत अन्य ने कलेक्टर एवं डीएफओ के यहां लिखित शिकायत पत्र देते हुये बताया कि वन समिति गोरवानी अंतर्गत सेन्दुरी, झरिया, जल्फाडोल, अ, ब, स, द एवं गोरा स के फड़ो का करीब 8 लाख 50 हजार तेंदूपत्ता गड्डियों का खरीदी करने से इंकार कर दिया गया।
जबकि 21 मई को तेंदूपत्ता गणना के बाद आगामी दिनांक से फड़ बंद करने के लिए अपने रजिस्टर में क्रेता प्रतिनिधि के मैनेजर द्वारा फड़मुंशियों के हस्ताक्षर भी कराये गये थे। किंतु फड़मुंशियों के बिना सूचना एवं निरीक्षण किये ही अवैधानिक तरीक से वन परिक्षेत्राधिकारी पूर्व सरई और अध्यक्ष प्रबंधक के द्वारा वन चौकी पोड़ीडोल में बैठकर पूरे संग्रहण को गुणवत्ताविहीन लेखकर साथ ही एफआईआर कराने की धमकी देते हुये पंचनामा तैयार कर लिया गया। जबकि तेंदूपत्ता संग्रहण मानक गड्डी पूरे फड़ो में बिछाई गई है और बिना गड्डियों की संख्या निकाले ही पंचनामा तैयार किया गया है। फड़मुशियों ने कलेक्टर एवं डीएफओ का ध्यान आकृष्ट कराया है।
दरअसल यदि सूत्रों की बात माने तो तेंदूपत्ता गड्डियों को रिजेक्ट करने और गड्डी लेने से इंकार करने का निर्देश नही है। बल्कि पूर्व में निर्देश यह था कि यदि श्रमिक तेंदू का लाल पत्ता, कटा-फटा, दागदार लाते हैं तो फड़ पर ही उन्हें बैठाकर सुधार कराया जाये और साथ ही तेंदूपत्ता की गड्डी 50 पत्ते की हो। श्रमिको को फड़ से वापस करने का प्रावधान नहीं है। इतना जरूर है कि तेंदूपत्ता खरीदी की तिथि समाप्त हो गई है तो फड़मुंशी को हर हाल में लिखित सूचना के आधार पर 24 घंटे के पूर्व अवगत कराना पड़ेगा और तेंदू पत्ता खरीदी की पूरी मॉनिटरिंग वन विभाग के अमले द्वारा किया जाना है। फड़मुशियों की बात माने तो वन विभाग एवं वन समिति की लापरवाही सामने आई है।
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