दलित समाज के प्रति कांग्रेसी मंत्री राधाकृष्ण किशोर का बयान दलित समाज के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है – विजय शंकर नायक
Congress minister Radhakrishna Kishore's statement towards Dalit community is like rubbing salt on the wounds of Dalit community - Vijay Shankar Nayak

नेशनल प्रेस टाइम्स ब्यूरो,
रांची, आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय उपाध्यक्ष सह- पूर्व विधायक प्रत्याशी वरिष्ठ दलित नेता विजय शंकर नायक ने कांग्रेसी मंत्री राधाकृष्ण किशोर के बयान कि दलित समाज की स्थिति आदिम जनजातियों से भी बदतर है पर अपनी प्रतिक्रिया मे कही। इन्होने आगे बताया कि यह बयान दलित समुदाय के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है । झारखंड की जागरूक जनता के सामने हम राधाकृष्ण किशोर, झामुमो-कांग्रेस गठबंधन के वित्त मंत्री, के उस कपटपूर्ण और बेशर्म बयान की निंदा करते हैं, जिसमें उन्होंने साढ़े छह साल की सत्ता की लूट के बाद अचानक दलितों के लिए नकली आंसू बहाते हुए उनकी स्थिति को आदिम जनजातियों से भी बदतर बताया। यह बयान दलित समुदाय को ठगने, उनके जख्मों पर नमक छिड़कने और आगामी चुनावों में वोट की डकैती करने की एक गंदी साजिश है! हम इस प्रेस बयान के जरिए राधाकृष्ण के इस ढोंग की धज्जियां उड़ाते हैं और झामुमो-कांग्रेस सरकार का पोल खोलने और उनके पाखंड को बेनकाब करने के लिए साढ़े छह साल का काला सच: दलितों समाजके सामने रखते है। नायक ने आगे कहा कि झामुमो-कांग्रेस गठबंधन ने अपने शासनकाल में अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय को हर क्षेत्र में रौंदा, अपमानित किया और हाशिए पर फेंका। राधाकृष्ण किशोर का तथाकथित “दलित प्रेम” एक सस्ता, गंदी और सियासी तमाशा है, जो उनकी सरकार की घृणित नाकामियों को छिपाने और दलित वोटों की खरीद-फरोख्त करने का हथकंडा है। इस सरकार की दलित विरोधी साजिशों को चीख-चीखकर बेनकाब करते हैं इन्होने उदाहरण देते हुए कहा कि चौकीदार भर्ती में दलितों का हक लूटा गया झारखंड में चौकीदार भर्ती में संवैधानिक 12% एससी आरक्षण को बेशर्मी से कुचल दिया गया। 2020- 2024 तक 12,500 चौकीदार पदों पर भर्ती में एक भी दलित को जगह नहीं दी गई। यह संविधान पर थूकने और दलित युवाओं के रोजगार के हक को लूटने की खुली डकैती है। राधाकृष्ण जी आपका “दलित प्रेम” इस लूट में कहां था? नियुक्तियों में आरक्षण की चोरी: झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) और कर्मचारी चयन आयोग (SSC) में दलितों के लिए आरक्षित 2,000 से अधिक पद खाली पड़े हैं। JPSC की 2021-2023 सिविल सेवा भर्तियों में 252 एससी पदों में से सिर्फ 65 भरे गए, बाकी को या तो लटकाया गया यह दलितों के संवैधानिक हक की खुली लूट है। राधाकृष्ण जी, जवाब दो, यह डाका क्यों डाला गया ? दलित अधिकारियों को समय पर प्रोन्नति देने में जानबूझकर टालमटोल किया गया। एक समिति की रिपोर्ट चीखती है कि झारखंड में एससी अधिकारियों का प्रोन्नति में प्रतिनिधित्व उनकी 12.08% जनसंख्या के मुकाबले सिर्फ 4.45% है। इन्हें वित्त, गृह, या शिक्षा जैसे शक्तिशाली विभागों से बाहर रखकर “सेंटिग पोस्ट” जैसे सामाजिक कल्याण या सांस्कृतिक विभागों में फेंका गया। यह दलितों की ताकत को तोड़ने की नापाक साजिश नहीं तो और क्या है? पारदेशीय मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा विदेशी छात्रवृत्ति योजना” में दलित छात्रों को जानबूझकर ठगा गया। 2024 में 50 छात्रों के कोटे में सिर्फ 2 दलित छात्र चुने गए, जबकि एससी के लिए 10 सीटें थीं। चयन प्रक्रिया में गंदी सेटिंग और भेदभाव ने दलित छात्रों के विदेश में पढ़ने के सपनों को चूर-चूर कर दिया। यह योजना कुछ खास लोगों की जेब भरने का अड्डा बन गई है। राधाकृष्ण जी, यह धोखा क्यों? रांची का मेयर पद, जो 2022 तक रोस्टर के अनुसार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था, उसे झामुमो-कांग्रेस सरकार ने बेशर्मी से छीनकर जनजातीय समुदाय के लिए दे दिया। यह दलितों के राजनीतिक हक पर डाका और संविधान की आत्मा पर हमला था। राधाकृष्णजी इस साजिश पर आप चुपपी क्यो साधे रहे जवाब दे ?दलित बहुल क्षेत्रों जैसे पलामू, गढ़वा, और रांची के ग्रामीण इलाकों में 75% प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं। दलित छात्रों के लिए उच्च शिक्षा में छात्रवृत्ति का बजट 2020-2024 में सिर्फ 10 करोड़ रुपये था, जबकि ओबीसी के लिए 50 करोड़। MSME में दलित उद्यमियों के लिए कोई योजना नहीं, और बैंक लोन में उनकी हिस्सेदारी सिर्फ 1.5%। यह है आपका “दलित प्रेम”, राधाकृष्ण जी बताए ? साढ़े पांच वर्षो से अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष मनोनयन क्यों नही किया गया। नायक ने आगे कहा कि राधाकृष्णजी का बयान: नकली आंसुओं का सियासी तमाशा है और उनका यह दावा कि दलितों की स्थिति “आदिम जनजातियों से भी बदतर” है, उनकी सरकार की साढ़े छह साल की काली करतूतों का खुला इकबाल है। अगर दलितों की हालत इतनी खराब है, तो राधाकृष्ण, आप और आपकी सरकार साढ़े छह साल तक सोते क्यों रहे? यह बयान दलितों के जख्मों पर चाकू घोंपने और उनके सम्मान को तार-तार करने का घिनौना खेल है। यह सिर्फ एक सियासी तमाशा है, जिसका मकसद दलित वोटों की लूटमार करना है। हम राधाकृष्ण किशोर और उनकी बेशर्म सरकार से ये सवाल पूछते हैं कि
12,500 चौकीदार पदों पर दलितों का एक भी हक क्यों नहीं दिया गया? JPSC में 252 में से 187 दलित पद खाली क्यों पड़े हैं? दलित अधिकारियों को सेंटिमेंट पोस्ट पर फेंकने की साजिश क्यों? पारदेशीय मारंग गोमके योजना में 8 दलित सीटें क्यों लूटी गईं? रांची मेयर पद का दलित आरक्षण छीनने की हिम्मत कैसे हुई? इन सवालों का जवाब देने की हिम्मत न राधाकृष्ण में है, न उनकी नाकारा सरकार में। यह बयान “दलित प्रेम” नहीं, दलितों के साथ विश्वासघात और अपमान का नंगा नाच है। राधाकृष्ण किशोर का तथाकथित दलित प्रेम झारखंड की जनता के लिए एक घिनौना तमाशा और सियासी पाखंड की पराकाष्ठा है। झामुमो-कांग्रेस गठबंधन ने दलितों को वोट की मशीन बनाकर उनके हक, सम्मान, और भविष्य को रौंद डाला। हम दलित समुदाय से हुंकार भरने की अपील करते हैं कि इस ढोंगी, दलित विरोधी सरकार को उखाड़ फेंकें। यह लड़ाई दलितों के सम्मान, अधिकार, और समानता की है, और हम इसे तब तक नहीं रोकेंगे जब तक झारखंड में दलितों को उनका पूरा हक और इज्जत नहीं मिला।