विवेकानंद स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस योजना का दायरा बढ़ाया जाए, ताकि समाज के आरक्षित वर्ग और हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के सपने भी साकार हो सकें:नेता प्रतिपक्ष जूली

एनपीटी अलवर ब्यूरो
अलवर जयपुर,। राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा राजीव गांधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस योजना में बदलाव करते हुए योजना में विदेश के साथ देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में भी छात्रों को निःशुल्क पढ़ाने की घोषणा को थोथा ढकोसला करार देते हुए प्रदेश के मेधावी छात्रों के साथ धोखा बताया है।
जूली ने बताया कि संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर को बड़ौदा के महाराज ने विदेश पढ़ने के लिए भेजा था।
इसी तर्ज पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के जरूरतमंद मेधावी विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य और उनके सपनों को साकार करने के लिए राजीव गांधी एक्सीलेंस स्कॉलरशिप योजना की शुरुआत की थी, ताकि बच्चे विदेश में जाकर पढ़ सके। लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने बिना परिणाम सोचे समझे योजना का नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद कर दिया। जूली ने कहा कि हमें इससे कोई गुरेज नहीं, लेकिन योजना को कमजोर कर विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप बंद कर दी गई, यह दुर्भाग्यपूर्ण है, इससे विदेश में प्रदेश के विद्यार्थी जिल्लत और मजबूरी भरी जिंदगी जीने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
जूली ने बताया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के जरूरतमंद मेधावी छात्रों को विदेशों के प्रतिष्ठित संस्थानों तकनीकी और उच्च शिक्षा के लिए वर्ष 2021 में राजीव गांधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस योजना शुरू की थी। राज्य सरकार ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड, कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट, यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैंब्रिज, प्रिंसटन यूनिवर्सिटी, शिकागो, लंदन यूनिवर्सिटी ऑफ़ टोरंटो जैसे संस्थानों में पढ़ने का पूरा खर्चा देने के लिए योजना शुरू की थी।
जूली ने बताया कि कांग्रेस सरकार ने इस योजना से गरीब और जरूरतमंद मेधावी युवाओं को अपने सपने साकार करने का अवसर प्रदान किया, लेकिन प्रदेश में सरकार बदलते हुई भाजपा सरकार ने समीक्षा के नाम पर जनकल्याणकारी योजनाओं को या तो बंद कर दिया या फिर उनका नाम बदलकर उनके प्रति दुर्भावनापूर्ण रुख अख्तियार करते हुए उनकी क्रियान्विति में असहयोगात्मक परिस्थितियां उत्पन्न कर उन्हें विफल करने का प्रयास किया।
इस योजना के लिए तत्कालीन अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 65 करोड़ का अतिरिक्त बजट प्रावधान कर योजना की शुरुआत की। सितम्बर 2021 में 18 बच्चों के साथ यह फैलोशिप प्रारंभ की गई। 8 लाख से कम आय वर्ग वाले विद्यार्थियों के लिए ट्यूशन फीस व अन्य खर्च का 100 प्रतिशत भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाने तथा 8 लाख से 25 लाख आय वर्ग के लिए ट्यूशन फीस के अलावा अन्य खर्च का 50 प्रतिशत तथा 25 लाख से ऊपर आय वर्ग के लिए ट्यूशन फीस के अलावा कोई खर्च वहन नहीं करने का प्रावधान रखा गया। इससे विदेश में शिक्षा का सपना सच हुआ, लेकिन प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद सरकार ने योजना के साथ युवाओं के भी सपने चूर चूर कर दिए।
जूली ने एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से बताया कि मेलबर्न पढ़ने गई से छात्रा ने जब अपनी पीड़ा बताई कि कतार में लगकर मुफ्त का खाना लाती हूं,पढ़ने गई थी सरकार ने भिखारी बना दिया। यह देखकर दिल को गहरा आघात लगा।
राजीव गाँधी एकेडमिक एक्सीलेंस स्कॉलरशिप योजना का नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद एकेडमिक एक्सीलेंस स्कॉलरशिप योजना भाजपा सरकार ने कर दिया जिसमें 300 बच्चों को विदेश व 200 बच्चों को देश के संस्थानों से फैलोशिप देने की बात की गई जबकि कांग्रेस सरकार ने 500 बच्चों को विदेश से पढने के लिए योजना शुरू की थी।
विदेशी शिक्षण संस्थानों के लिए 308 छात्रों का चयन किया गया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए सरकार ने सिर्फ 10 करोड़ का बजट प्रावधान किया था जो योजना की सच्चाई बता रहा है। एक सच्चाई यह भी है कि देश के संस्थानों से पढने के लिए मात्र 57 विद्यार्थी ही सहमत हुए हैं जिससे 143 सीटें खाली रह गई। दिसम्बर तक आने वाली सूची अब तक नहीं आई।
छात्रों ने योजना का लाभ देखकर प्रवेश तो ले लिया लेकिन शिक्षा के प्रति असंवेदनशील भाजपा सरकार के कारण उन विश्वविद्यालयों में उनके प्रवेश रद्द करने पर तलवार लटक गई है। इन प्रतिभाशाली विद्यार्थियो को सरकार की अकर्मण्यता का खामियाजा उठाना पड रहा है जिससेे उनका भविष्य संकट में है और यह अत्यंत चिंता का विषय है।
उन्होंने प्रदेश के मुखिया से आग्रह किया है कि इस योजना में सुधार की जो आवश्यकता है, वह करे, परंतु जो विद्यार्थी विदेश में पहुंच गए हैं उनकी सहायता राशि अविलंब जारी करें और जिन बच्चों को विदेश में एडमिशन मिल गया है पर वह राशि ना मिल पाने के कारण वहां अटके है उन्हें तुरंत राशि जारी की जाए जिससे वह आगे की अपनी पढ़ाई जारी रख सके।
जूली ने मुख्यमंत्री को चेताया है कि कांग्रेस प्रदेश की जनता के साथ होने वाले अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेगी। जूली ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से गरीब, पिछड़े और जरूरतमंद के हक की रक्षा और उनके सम्मान के लिए संवेदनशील रही है। उन्होंने कहा की हम कर्म में विश्वास करते हैं, मिथ्या भाषण या छलावा नहीं करते। जूली ने मुख्यमंत्री को इंगित करते हुए कहा कि जिन योजनाओ का श्रेय आप और आपकी सरकार लेने का प्रयास कर रहे हैं ,वो सब तो राजस्थान की पूर्ववर्ती गहलोत सरकार की देन है । आपने इसमें नया क्या किया है ?
प्रतिपक्ष के नेता ने मुख्यमंत्री से सवाल करते हुए परामर्श दिया है कि आपको प्रदेश की जनता की इतनी ही चिंता है, तो समीक्षा के दौरान यह प्रयास करते की इस योजना से लाभान्वित होने वाले कुल छात्रों में आरक्षित ओर पिछड़े वर्ग के छात्र लाभान्वित हुए हैं। जूली ने कहा कि ये योजनाएं प्रदेश के करदाताओं के कार्डन से पोषित होती हैं, ऐसे में सरकार का यह दायित्व है कि इसका लाभ अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों को ही नहीं मिले और समाज के अग्रणी वर्ग ही लाभान्वित नहीं हों। योजनाएं ऐसी बने जिससे प्रदेश दलित, शोषित, पिछड़े वर्ग और हिंदी माध्यम से पढ़ने वाले विद्यार्थी भी लाभान्वित हों।
जूली ने मुख्यमंत्री को सीख देते हुए कहा कि आपका कोई विजन नहीं है और ना ही आपने कोई रोडमैप तैयार किया है, यह आपके बस की बात भी नहीं है। आप तो केवल कांग्रेस की जन कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाइए, ताकि लोगों का भला हो सके क्योंकि प्रदेश के आमजन के लिए कांग्रेस की योजनाएँ ही उन्हें लाभान्वित करने वाली है ।
जूली ने कहा कि राजनीति से कुंठित बयान देना आपकी मजबूरी हो सकती है लेकिन ये सच है कि कांग्रेस की देन, इन योजनाओं को बंद कर पाना किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं है।