संभल में इतिहास के नए आयाम: मंदिर, कुएं और बावड़ी के रहस्यों का खुलासा
उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चंदौसी इलाके में एक ऐतिहासिक खोज सामने आई है। लक्ष्मण गंज क्षेत्र में खुदाई के दौरान लगभग 150 साल पुरानी एक विशाल बावड़ी मिली है, जो लगभग 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली है। अधिकारियों के अनुसार, यह बावड़ी 250 फीट गहरी है और इसकी संरचना में ऐतिहासिक महत्व की झलक मिलती है।
खुदाई और खोज की शुरुआत
चंदौसी नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी कृष्ण कुमार सोनकर ने बताया कि बावड़ी की खुदाई 16 दिसंबर को शुरू हुई थी। इससे पहले 13 दिसंबर को लगभग 46 वर्षों से बंद पड़े भस्म शंकर मंदिर के पुनः खुलने के बाद इस क्षेत्र में खोजबीन तेज हुई। इस प्रक्रिया के दौरान अतिक्रमण हटाने के अभियान में बावड़ी की संरचना का पता चला।
ऐतिहासिक संदर्भ और संरचना की विशेषताएं
स्थानीय लोगों का कहना है कि बावड़ी का निर्माण बिलारी के राजा के नाना के शासनकाल में हुआ था। डीएम राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि यह संरचना लगभग 125 से 150 साल पुरानी हो सकती है। बावड़ी की ऊपरी मंजिल ईंटों से बनी है, जबकि निचली मंजिलें संगमरमर की हैं। खुदाई के दौरान बावड़ी के अंदर चार द्वार, दर्जनों आले, और प्राचीन नक्काशी के निशान मिले हैं। इसमें चार कमरे और एक कुआं भी मौजूद है।
मंदिर और मूर्तियों की खोज
बावड़ी के पास स्थित बांके बिहारी मंदिर भी चर्चा का विषय है। मंदिर की हालत काफी जर्जर है। खुदाई के दौरान यहां से दो प्राचीन मूर्तियां भी मिली हैं। जिला प्रशासन ने मंदिर की मरम्मत के लिए जरूरी कदम उठाने का आश्वासन दिया है।
पुरातत्व सर्वेक्षण की संभावना
डीएम पेंसिया ने कहा कि बावड़ी की प्राचीनता को देखते हुए इसका पुरातत्व सर्वेक्षण कराने पर विचार किया जा रहा है। एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) से सहायता लेने की प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है। संरचना को सुरक्षित रखने के लिए खुदाई और अतिक्रमण हटाने का काम बेहद सावधानी से किया जा रहा है।
यह खोज न केवल संभल के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को उजागर करती है, बल्कि इलाके की प्राचीन धरोहरों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।