अयोध्या महोत्सव में कवि सम्मेलन “काव्य कलश” का आयोजन, सुप्रसिद्ध कवियों ने प्रस्तुत की अपनी रचनाएं।
एनपीटी अयोध्या ब्यूरो
अयोध्या। अयोध्या महोत्सव में कवि सम्मेलन “काव्य कलश” का आयोजन 2 जनवरी को हुआ, जिसमें सुप्रसिद्ध कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। इस सम्मेलन में सुदीप भोला, अजय शुक्ल अंजाम, शिवकुमार व्यास, सूर्यांश सूर्य, नीर गोरखपुरी, लोकेश त्रिपाठी, डॉ मानसी द्विवेदी, और अरुण द्विवेदी ने भाग लिया। कवि सम्मेलन में विभिन्न विषयों पर कविताएं प्रस्तुत की गईं।
सूर्यांश सूर्य ने कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम का संचालन डॉ मानसी द्विवेदी ने किया और महोत्सव के संगठन महासचिव अरुण कुमार द्विवेदी ने उक्त कवि सम्मेलन का संयोजन किया।
सुदीप भोला ने उक्त पंक्तियां पढ़ी,
जहां बेटियाँ पूजी जाती होते हैं नवराते
नारी का सम्मान बचाने जौहर भी हो जाते
नारी का सम्मान बचाने जौहर भी हो जाते
जहां कृष्ण भी चीर बढ़ाने स्वयं खड़े हो जाते
अपमानित करने वालों के वंश जहां मिट जाते
अरे वहाँ दरिंदों ने दो महीने की बच्ची तड़पायी
आई कैसी बेहयाई आई कैसी बेहयाई आई।
अजय शुक्ल अंजाम ने चेतक कविता सुनाकर पूरे महोत्सव को जोश से भर दिया। उनकी पंक्ति ”टपटपाक टपटपाक पद चाप हुनाई देती थी, वो नीले घोड़े का सवार तूफान दिखाई देता था, जिस ओर निकल जाता चेतक शमशान बना देता था।” उनकी पंक्ति ”कठिन परिश्रम ही जीवन मे सब खुशियां लाया करता है, चले चलो टप टप टपाक हर घोटक यह गाया करता है।
कवि शिवकुमार व्यास ने चंद्रशेखर आजाद पर कविता गाते हुए कहा- राष्ट्र प्रेम का ज्वालामुखी भरा मेरे भी अंदर था, चाह यही थी निज सर्वस्व लुटाकर मैं भी कुछ कर जाऊं, माता के तन मन भेंट चढ़ाऊ।
डॉक्टर मानसी द्विवेदी ने अपनी प्रस्तुति देते हुए कविता पढ़ी –
जिस्म के जंगलों की नहीं थाह है,
मंजिलें लाख जिनकी खुली राह हैं,
ये और बात है आस तेरी लगी
तुझको पाने की उम्मीद है चाह है,
कवि लोकेश त्रिपाठी ने प्रेम पर अपना गीत प्रस्तुत करते हुए गाया- मां के भावों का चित्रण है, कविता कोई व्यापार नहीं , फिर गीतों में कैसे कह दूं, है मुझको तुमसे प्यार नहीं।
नीर गोरखपुरी मैं अपना काव्य पाठ हास्य के साथ शुरू किया – घर का सामान चाहे तोड़े वो तोड़े या तोड़े हम,
रोज लड़ती है और हिच हिच करती है, अपनी कमाई से जब पैसे मांगता हूं, मेरे पैसे देने में ही घिच घिच करती है।
हर कदम पर है ठोकरें, मगर संभालता हूं ,दौड़ता देख किसी को नहीं मचलता हूं। जितना ईश्वर ने दिया उसमें ही खुश रहता अरुण, बिना परवाह किए पांव की मैं चलता हूं। उक्त लाइन कार्यक्रम संयोजक अरुण कुमार द्विवेदी ने पढ़ी।
न्यास अध्यक्ष हरीश कुमार श्रीवास्तव ने कवि सम्मेलन में कहा, “यह कवि सम्मेलन हमारी सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया गया है। हमें अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास करना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “कविता हमारी भावनाओं को व्यक्त करने का एक शक्तिशाली माध्यम है। हमें अपनी कविताओं के माध्यम से समाज के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए और समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए।”
इस अवसर पर कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे, जिनमें मिल्कीपुर के पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा, प्रबंधक आकाश अग्रवाल, प्रबंध निदेशक नाहिद कैफ, महासचिव ऋचा उपाध्याय, चंद्रबली सिंह, जनार्दन पांडे ‘बब्लू पंडित ‘ ,नीलमणि त्रिपाठी, आजाद सदक, भानू गोस्वामी, हिमांशु मिश्रा, राकेश श्रीवास्तव, अनूप द्विवेदी, शिप्रा श्रीवास्तव ,निकिता, तनु पांडे शामिल थे।