ऐसे-ऐसे महान देवियों को मेरा सैल्यूट- प्रयाग राज, थाना प्रभारी

ऐसे-ऐसे महान देवियों को मेरा सैल्यूट, जो अपने पति को बचाने के लिए हर विषम परिस्थिति में गुजरने से हिचकती नहीं।
बीते दिन उक्त अपराधी को संदिग्ध गतिविधि में आवश्यक पूछताछ के लिए थाना लाया गया था, जिसे छुड़वाने के लिए उसकी पत्नी अपना नवजात शिशु को घर में छोड़कर अपनी 4 वर्षीय पुत्री को लेकर किसी तरह से थाना आ गयी। वो आकर थाना प्रभारी से मिलने की इच्छा व्यक्त की और उसके इच्छा के अनुसार मुझसे महिला ऑफिसर के साथ मिलवाया गया। ऑफिस में बैठाकर उसकी बच्ची को चॉकलेट देकर, उसके पति को बुलवाया गया। उनकी हालत देखकर मुझसे नहीं रहा नहीं गया और मैंने पूछ दिया, तो वो बतायी कि- मैं प्रसूति हूँ, मेरा एक नवजात शिशु है, जिसे घर छोड़कर आयी हूँ।
फिर मैंने पूछा कि- क्या कुछ खाएंगी- पियेंगी?
वो बोली- नहीं।
तब उनसे पूछा गया कि- अस्पताल क्यूँ नहीं गयी? इस पर उन्होंने बतायी कि- सदर अस्पताल, पाकुड़ गयी थी, पर वहाँ बताया गया कि आपको खून की कमी है। मेरा पति को छोड़ दीजिए।
ऐसा उसकी हालत देखकर न केवल उसके पति को PR Bond पर छोड़ा गया, बल्कि उसे, उसकी बच्ची, उसके पति को अपनी वाहन में बैठाकर उसके घर जाकर नवजात शिशु को लेकर आरोग्य ब्लड, सेंटर, पाकुड़ जाकर वर्तमान परीपेक्ष्य में इतनी व्यस्तता में मैंने उसके लिए प्रथम बार अपना ब्लड दिया। मेरे साथ गए पाकुड़ का मेरा अनुज़ ने भी ब्लड दिया तथा उक्त परिवार को मैं स्वयं सदर अस्पताल, पाकुड़ में पहुँचाकर पर्ची कटवाकर भर्ती कराया गया और डॉक्टर संतोष कुमार से मुलाक़ात कर लाइन-अप करवाया गया।
न केवल अपराधियों को पकड़कर कारा में डालने का परिणाम है पुलिसिंग।
बल्कि उसे एक मौका देकर मुख्य धारा में जोड़ने का नाम है पुलिसिंग।
गरीब तबके के अपराधियों को पकड़कर क्यूँ ख्याल आता है मेरे मन में।
कि उसके परिवार को भोजन पर अंधेरा छा जाय, तो चूल्हा जलाने का काम है पुलिसिंग।
प्रयाग राज,
थाना प्रभारी, पाकुड़ नगर थाना।