अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य स्थगित रखा

वकील संशोधन बिल के विरोध में राज्यपाल के नाम जिला कलेक्टर बूंदी को ज्ञापन दिया
एनपीटी बूंदी ब्यरो
बूंदी । अभिभाषक परिषद बूंदी द्वारा अभिभाषक परिषद बूंदी के अध्यक्ष चंद्रशेखर शर्मा के अगुवाई में भारत सरकार द्वारा अभिभाषक संशोधन अधिनियम के माध्यम से किए जा रहे असंवैधानिक संशोधन का विरोध प्रदर्शन किया गया। जिस हेतु 20 फरवरी को सम्पूर्ण रूप से न्यायिक कार्य स्थगित रखा। अधिवक्ताओं की और से किसी भी न्यायालय में पैरवी नहीं की गई।
वकील संशोधन बिल के विरोध में राज्यपाल के नाम जिला कलेक्टर बूंदी को ज्ञापन दिया।
अभिभाषक परिषद् बून्दी अध्यक्ष चंद्रशेखर शर्मा के नेतृत्व में बूंदी जिला कलेक्टर को राज्यपाल के नाम ज्ञापन ज्ञापन पेश किया।
एक वकील जो अपने मुवाकीलों को हितों के लिए हमेश तत्पर रहता है न्याय के लिए सदैव अग्रणी रहता है तथा अपने अधिकारों व अपने पक्ष के लिए सदैव इस तरह की प्रणाली चाहता है जो उसे सुरक्षित रख सक्ते परन्तु वर्तमान में वकील संशोधन बिल 2025 के जयें वकीलों की आवाज, उनके संवैधानिक अधिकारों को दबाने जैसा प्रयास उक्त बिल के माध्यम से हो सकता है जी कि सरासर गलत है जिसका बार एशोशियन बून्दी (राज०) विरोध करती है तथा इसके कुछ बिन्दुओं की इस ज्ञापन के माध्यम से प्रस्तुत करती है। बिल के माध्यम से वकीलों को कोर्ट में कामकाज से हड़ताल व बहिष्कार पर (घारा 35 ए) अनुसार रोक लगाई गई है जो कि वकीलों के संवैधानिक हित को पूर्णतयाः समाप्त करने का सतत् प्रयास है। यह प्रावधान वकीलों के संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अनुच्छेद 21- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन करता है। वकीलों को अपनी मांगों और समस्याओं को उठाने के लिए हड़ताल या बहिष्कार एक महत्वपूर्ण हथियार होता है उसे छीन लेना उनकी आवाज को दबाने जैसा है।
अधिनियम की धारा 35 में वकीलों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है. यह जुर्माना वकीलों के पेशेवर आचरण को लेकर है लेकिन इसे लागू करने का तरीका पक्षपातपूर्ण है इससे वकीलों पर दबाव बढ़ाने और उसकी स्वतंत्रता प्रभावित होगी। इसी प्रकार यदि कोई शिकायत झूठी पाई जाती है तो शिकायतकर्ता पर 50,000/- के जुर्माना लगाये जा सकने का प्रावधान है परन्तु यदि किसी वकील के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज की जाती है तो उसके लिए कोई सुरक्षा नहीं है जो कि एक तरफा और अन्यायपूर्ण होगा। अधिनियम में वकीलों को तुरंत निलंबित करने का प्रावधान लाया जा रहा है. बार कॉउन्सिल ऑफ इण्डिया को यह अधिकार दिया जा रहा है वह किसी भी वकील को तुरंत निलंबित कर सकती है. यह प्रावधान वकीलों के खिलाफ दुरुपयोग को बढ़ावा देने वाला साबित हो सकता है बिना किसी उचित जांच के किसी को निलंबित करना अन्यायपूर्ण होगा। ये सब कारण वकीलों की भुमिका को कमजोर करने का प्रयास है प्रयास है। जो एकदम गलत और अन्यायपूर्ण है। बूंदी जिला कलेक्टर को राज्यपाल के नाम ज्ञापन पेश कर उक्त वकील संशोधन बिल जो यकीलों का पक्षधर नहीं है का बून्दी बार एसोशिएशन विरोध करती है तथा आग्रह करती है कि ऐसे प्रावधानों व बिल को वापस लिया जाकर वकीलों के हितार्थ, सुरक्षार्थ बिल को संशोधित किया जावे। यदि उक्त बिल में संशोधन या बिल वापस नहीं लिया जाता है तो बार एसोशिएशन बून्दी, (राज०) इसका पूर्णतयाः विरोध, प्रदर्शन व आवश्यकता पड़ने पर हडताल करेगी। विरोध प्रदर्शन में सचिव संजय कुमार जैन, उपाध्यक्ष नारायण सिंह गॉड, सहसचिव कविता कहार, कोषाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार लाठी, पुस्तकालय सचिव सुरेंद्र कुमार वर्मा, कार्यकरणी सदस्य जितेंद्र कुमार जैन, नईम हुसैन, शाहिस्ता परवीन, अजय मीना, उमाशंकर नागर, नीरज शर्मा, पंकज दाधीच, महेश धाकड़ प्रमोद सेन, अमर सिंह, राजेंद्र जैन, शिवराज नागर, अशोक शर्मा बाबा, मुकेश शर्मा, फिरोज खान, रामकुमार दाधीच, सुनील शर्मा, महेश शर्मा, कौशल शर्मा, संजय शर्मा, आनंद सिंह नरूका सहित सभी अभिभाषक परिषद बूंदी के अधिवक्तागण मौजूद रहें। यह जानकारी अभिभाषक परिषद बूंदी के मीडिया प्रभारी एडवोकेट अंचल राठौर ने दी।