धर्म

महाकुंभ में छाए ‘IITian बाबा’, श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का केंद्र

एनपीटी प्रयागराज ब्यूरो

महाकुंभ 2025 के पहले स्नान पर्व पर संगम तट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच साधु-संतों की अनूठी कहानियां भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। इनमें से एक खास नाम है ‘गोरख बाबा,’ जिन्हें सोशल मीडिया पर लोग ‘IITian बाबा’ के नाम से जान रहे हैं। गोरख बाबा का असली नाम अभय सिंह है, और वे हरियाणा के निवासी हैं। उनकी प्रेरक यात्रा ने महाकुंभ में उन्हें चर्चा का विषय बना दिया है।

शिक्षा और करियर से अध्यात्म की ओर

गोरख बाबा ने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस और एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने फोटोग्राफी में रुचि दिखाई और इसे करियर बनाने की कोशिश की। इस दौरान, अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्होंने एक साल तक बच्चों को फिजिक्स की कोचिंग भी पढ़ाई। इसके बावजूद, उनकी रुचि दर्शनशास्त्र और अध्यात्म में बढ़ती रही, और अंततः उन्होंने साधु का जीवन अपना लिया।

‘ज्ञान के पीछे चलते जाओ’

गोरख बाबा का कहना है कि उनका जीवन दर्शन ज्ञान और सच्चाई की खोज पर आधारित है। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने विज्ञान से आध्यात्मिक जीवन की ओर क्यों रुख किया, तो उन्होंने कहा, “ज्ञान के पीछे चलते जाओ, चलते जाओ… इससे अच्छा कुछ हो ही नहीं सकता।” उनके इस विचार ने महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं और सोशल मीडिया पर लोगों को प्रभावित किया।

सोशल मीडिया पर वायरल

गोरख बाबा का एक वीडियो, जिसमें वे अपनी जीवन यात्रा साझा कर रहे हैं, सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। हंसराज मीणा के एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर पोस्ट किए गए इस वीडियो को लाखों बार देखा और हजारों बार लाइक किया जा चुका है। कुछ लोगों ने उन्हें मजाक में ‘3 इडियट्स’ के रैंचो का आध्यात्मिक संस्करण कहा, तो कुछ ने उनकी प्रेरणादायक यात्रा की सराहना की।

महाकुंभ में लोकप्रियता का कारण

गोरख बाबा अपनी स्पष्ट और सहज संवाद शैली के कारण महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। उनकी कहानी न केवल ज्ञान की खोज को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि विज्ञान और अध्यात्म किस तरह एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं।

गोरख बाबा की कहानी का संदेश

गोरख बाबा का जीवन उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो जीवन में भौतिक सफलता के साथ आंतरिक शांति की खोज कर रहे हैं। उनकी यात्रा विज्ञान से अध्यात्म तक की है, जो यह साबित करती है कि सच्चा ज्ञान केवल तथ्यों तक सीमित नहीं होता, बल्कि आत्मा की खोज में भी निहित है।

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