सिंगरौली

तीन दिवसीय राष्ट्रीय जलसा, 26वाँ उर्से खलीकी देवसर में

जारी है व्यापक तैयारियां देश के कोने-कोने से पहुंचेंगे ज़ाइरीन

नेशनल प्रेस टाइम्स ब्यूरो।

सिंगरौली : हर साल की तरह इस साल भी उर्से खलीकी देवसर में अक़ीदत और मोहब्बत के साथ मनाया जाएगा उर्से खलीकी की तैयारिया चल रही है इस साल 26 वा उर्से खलिकी देवसर मे संपन्न होगा उर्से खलीकी 1,2,3 जून को मनाया जाता है उर्से के साथ-साथ मदरसे का एनुअल फंक्शन भी होता है प्रोग्राम एक 1जून से शुरू होता है फातिहा शरीफ होती है और 2 जून को नात शरीफ और तकरीर का प्रोग्राम रखा जाता है। 

सज्जादानशी सैयद आदिल रजा कादरी साहब ने बताया कि तीन दिवसीय जलसे को लेकर व्यापक तैयारियां चल रही हैं मदरसा दारुल उलूम सुलेमानिया रजबिया का सालाना एनुअल फंक्शन भी रहता है और उर्से खलीकी मुनक्कित किया जाएगा साथ में तीन दिन मेले का भी आयोजन किया जाता है 

उर्से खलिकी में हजरत सैयद खलिके मिल्लत के चाहने वाले भारत के कोने-कोने से लोग आते हैं और बहुत ही मोहब्बतन उर्से खलीकी मनाते हैं।

उर्से खलीकी 1 2 3 जून को होगा जिसमें मुल्क के मशहूर मारूफ ओलमा एकराम सैयद अनस मियां बिलग्राम शरीफ अल्लामा फैज रजा तौसीफ मियां के बेटे बरेली शरीफ सैयद कामिल मियां भारतगंज मौलाना रुहुल अमीन जबलपुर और असद इकबाल कोलकाता के साथ कई शायर और ओलमाये अहले सुन्नत शामिल होंगे उर्से खलिकी में देश के कई राज्यों से हकीकतमंद शामिल होंगे जिनके लिए माकूल व्यवस्था की जा रही है दारुल उलूम सुलेमानिया रजबिया हबीबिया मदरसे में दीनी और दुनियाबी दोनों तालीम दी जा रही है जिसमें उर्दू फारसी हिंदी इंग्लिश अरबी और मदरसे में लगभग 100 बच्चों से ऊपर तालीम हासिल कर रहे हैं साथ में जो बच्चे तालीम हासिल कर रहे हैं उनका रहने की व्यवस्था और खाने की व्यवस्था फ्री दी जा रही है और छात्रों की बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए मदरसे के लिए और भवन निर्माणधीन है अल्लामा मौलाना हजरत सय्यद आदिल रजा साहब की बड़ी ही मशक्कत और मेहनत की बदौलत मदरसा एजुकेशन की दुनिया में अपनी अलग पहचान बना रहा है इस मदरसे से पढ़े हुए स्टूडेंट कई राज्यों में टीचर हैं कई जगह संस्थाएं संभाल रहे हैं और ओलमाये दीन अहले सुन्नत का काम कर रहे हैं इस मदरसे को बनाने में सय्यद आदिल मियां के वालिद साहब सैयद नेहाल मिल्लत साहब क़िबला ने इसकी न्यू रखी थी आज इस मदरसे की देन है मदरसे में पढ़ने के बाद आगे जाकर मुफ़्ती भी बने हैं और सुन्नीयत का परचम लहरा रहा है इस मदरसे के कारण ही मुल्क में देवसर की एक अलग पहचान बनी है मदरसे में अच्छा एजुकेशन दिया जा रहा है और उर्से खलीकी मे सिर्फ मुस्लिम ही नहीं हिंदू मुस्लिम सभी कौम के लोग शामिल होते हैं बल्कि एक फेस्टिवल के रूप में मनाते हैं दूर से आने वाले जायइरीनों के लिए लंगर का भी येहतमाम किया जाता है।

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