गाजियाबाद

संजय नगर रामलीला कमेटी का विवाद चरम पर बाहरी व्यक्ति को अध्यक्ष बनाये जाने पर बढी रार

कमेटी के चुनाव का विवाद अभी रजिस्ट्रार कोर्ट में लंबित, पूर्व अध्यक्ष सहित 14 सदस्यों ने बैठक का बहिष्कार किया

नेशनल प्रेस टाइम्स,ब्यूरो।

गाजियाबाद। श्री आदर्श धार्मिक रामलीला कमेटी में अध्यक्ष पद को लेकर विवाद रोजाना गहराता जा रहा है। कमेटी के पूर्व अध्यक्ष बीरेंद्र बाबू वर्मा ने वर्तमान में अध्यक्ष घोषित किये गए पप्पू नागर को असंवैधानिक ठहराते हुए गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।पूर्व अध्यक्ष का कहना है कि पप्पू नागर न तो कमेटी के अधिकृत सदस्य हैं और न ही उन्हें अध्यक्ष पद की कोई वैधानिक मान्यता प्राप्त है। उन्होंने बताया कि कमेटी से जुड़ा चुनावी विवाद अभी रजिस्ट्रार कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में किसी भी नए अध्यक्ष की घोषणा न तो कानूनी रूप से वैध है और न ही संगठनात्मक रूप से स्वीकार्य।

बिरेंद्र बाबू वर्मा ने यह भी स्पष्ट किया कि कमेटी के संयोजक के रूप में मोहन सिंह रावत और अशोक चांदीवाल ही अभी तक अधिकृत रूप से मान्य हैं। क्योंकि वर्ष 2024 में इन्ही दोनो के नेतृत्व में रामलीला का मंचन कराया गया था। तथा संजीव चौधरी पक्ष संवैधानिक रूप से चुनाव कराने को टाल रहे हैं। क्योंकि कमेटी में अधिकृत कुल 17 सदस्य है। और संजीव चौधरी के पक्ष में मात्र 3 सदस्य है। और हमारे पक्ष में 14 सदस्य मजबूती के साथ खड़े हैं। इसलिए दूसरे पक्ष ने कमेटी के बाहरी व्यक्ति को स्वंयभू अध्यक्ष घोषित करके इसके विवाद को बढ़ा दिया है। अन्यथा रजिस्ट्रार महोदय ने हमारे चुनाव के आदेश जारी कर दिये थे। और अभी तक यह सारा विवाद समाप्त हो जाता।

रविवार को संजीव चौधरी पक्ष के द्वारा आयोजित प्रस्तावित कमेटी बैठक का बहिष्कार करते हुए बिरेंद्र बाबू वर्मा ने कहा, “जब तक कानूनी स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती, तब तक इस तरह की किसी भी बैठक को मान्यता नहीं दी जा सकती। यह बैठक पूरी तरह से अवैध है और संगठन की गरिमा के खिलाफ है। तथा रजिस्ट्रार कोर्ट के आदेशों की अवहेलना के साथ साथ कानूनी अपराध भी है।रामलीला कमेटी के दोनों पक्षों के विवाद ने क्षेत्रीय धार्मिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के अलावा सामाजिक सौहार्द पर भी असर डालना शुरू कर दिया है, जिससे रामभक्तों और स्थानीय नागरिकों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। और रामलीला के आयोजन पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।

संजय नगर क्षेत्र की जनता को इंतज़ार है कि डिप्टी रजिस्ट्रार कोर्ट का निर्णय इस विवाद को किस दिशा में मोड़ता है और कमेटी में स्थिरता कब लौटती है। क्योंकि रामलीला के आयोजन में अब बहुत ही कम समय शेष बचा है। और इसकी तैयारी कई माह पूर्व ही शुरू कर दी जाती है।

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