मुरादाबाद
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा 27 करोड़ की लागत से बना सोर्सिंग हब, हुआ खंडहर में तब्दील

मुरादाबाद। दिल्ली रोड स्थित पाकबड़ा ज़ीरो पॉइंट पर मुरादाबाद विकास प्राधिकरण (MDA) द्वारा हस्तशिल्प कारोबार को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया ‘सोर्सिंग हब’ आज खंडहर में तब्दील हो चुका है। इस परियोजना पर लगभग 27 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन अब यह विशाल भवन वीरान पड़ा है, जहां न कोई दुकान संचालित हो रही है और न ही कोई व्यावसायिक गतिविधि देखने को मिलती है।
कारोबार को बढ़ावा देने के लिए बना था सोर्सिंग हब
MDA ने इस परियोजना के तहत करीब 200 दुकानों और दो विशाल हॉलों का निर्माण कराया था, ताकि मुरादाबाद के विश्वविख्यात पीतल उद्योग एवं अन्य हस्तशिल्प को एक मंच मिल सके और स्थानीय कारीगरों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाज़ार तक पहुंचाया जा सके। लेकिन अफसोस की बात है कि आज यह इमारत सिर्फ एक नाम मात्र की संरचना बनकर रह गई है। इस सोर्सिंग हब को बनाने से पहले यहां मौजूद दुकानों की कीमत 5 लाख रुपए रखी गई लेकिन जब ये हब बनकर तैयार हुआ तो यहां दुकानों की कीमत MDA ने 50 लाख रुपए कर दी। जिस वजह से ये सोर्सिंग हब आज धूल फांकता हुआ नजर आ रहा है।
विभाग की लापरवाही से नहीं मिली सफलता
प्रशासनिक उदासीनता और गैरजिम्मेदार अधिकारियों के चलते यह महत्वाकांक्षी योजना पूरी तरह विफल हो गई। न तो समय पर इसका संचालन शुरू हुआ और न ही व्यापारियों व निवेशकों को इसके प्रति आकर्षित किया गया। परिणामस्वरूप करोड़ों रुपये की लागत से बना भवन अब जर्जर स्थिति में पहुँच चुका है। MDA के कई अधिकारियों पर सवाल उठ रहे हैं कि इस प्रोजेक्ट की निगरानी में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हुई।कुछ लोगों का मानना है कि यदि इस इमारत को सही तरीके से विकसित किया जाता, तो यह मुरादाबाद के हस्तशिल्प कारोबार को नई ऊंचाइयां दे सकता था और हजारों लोगों को रोजगार मिल सकता था।
जानबूझकर किया गया बिल्डिंग को खंडहर
कुछ स्थानीय लोगों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि इस बिल्डिंग को सोर्सिंग हब के रूप में इस्तेमाल करने के लिए सपा सरकार में बनाया गया था। इस प्रोजेक्ट में 27 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। लेकिन धरातल पर इसका लाभ नहीं मिला। अब एमडीए (MDA) इस बिल्डिंग को तोड़कर इस जमीन को मोटे दामों में बेचना चाहता है। इस जमीन की कीमत एमडीए ने 143 करोड़ रुपए आंकी है।इस बिल्डिंग पर लगाए गए शीशे भी अब टूट चुके हैं।
यहां मौजूद हैं करोड़ों के उपकरण
इस सोर्सिंग हब का इस्तेमाल मुरादाबाद की हस्तशिल्प कारीगरी को बढ़ावा देना था इसलिए ही यहां 200 दुकानें और 2 हॉल बनाए गए थे,यहां कारोबारियों की सुविधा के लिए कई जनरेटर और उपकरणों में करोड़ों रुपयों का व्यय हुआ है,ये उपकरण आज की तारीख में खराब हो चुके हैं। इस ओर जिम्मेदार ध्यान भी नहीं देते।अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रशासन इस खंडहर बन चुके प्रोजेक्ट को पुनर्जीवित करने के लिए कोई ठोस कदम उठाता है या यह इमारत आने वाले वर्षों में पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
वहीं सोर्सिंग हब के बारे में जानकारी देते हुए एमडीए के एक्सईएन और नगर नियोजक अमित कादियान ने बताया कि सोर्सिंग हब को बेचने के लिए संपत्ति अनुभाग द्वारा एक बार ऑक्शन कराया जा चुका है,जिसमें सफलता नहीं मिली है। ऑक्शन में इस हब को कीमत 143 करोड़ रुपए आंकी गई थी। अब दोबारा से इस हब की कीमत आंकी गई है। इस सोर्सिंग हब को यथास्थिति में बेचा जाएगा। जल्द ही ऑक्शन कराया जाएगा।