मथुरा

ध्रुवगाट पर तीन दशक बाद शुरू हुआ विद्युत शवदाह गृह का ट्रायल

एनपीटी मथुरा ब्यूरो

मथुरा। पर्यावरण संरक्षण की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए ध्रुवघाट पर बने विद्युत शवदाह गृह निर्माण के तीन दशक बाद ट्रायल शुरू हो गया है। इससे हर दिन सैकड़ों क्विंटल लकड़ियों की बचत होगी। पर्यावरण को भी कम से कम नुकसान पहुंचेगा। बृहस्पतिवार से शुरू हुआ ट्रायल 7 दिन तक चलेगा। इसकी अहम खासियत है कि यह विद्युत के साथ-साथ एलपीजी गैस से भी संचालित होगा।

34 साल पूर्व ध्रुवघाट के पास विद्युत शवदाह गृह की स्थापना हुई थी। 1675 वर्ग में फैले इस भवन का 324.85 लाख रुपये की लागत से निर्माण कराने की मंजूरी मिली थी। एमवीडीए द्वारा इसका निर्माण हो रहा था। उस समय शासन से पूर्ण स्वीकृति अनुदान धनराशि न मिलने के कारण 1996 में भवन का निर्माण अधर में लट गया। अप्रैल 2020 तक भवन इसी हाल में पड़ा रहा। इसके बाद देखरेख के अभाव में भवन जर्जर हो गया। लंबे समय बाद अधिकारियों ने इसके निर्माण की फिर सुध ली। इससे पहले अधिकारियों ने जर्जर भवन की एएमयू की एक समिति से जांच कराई। जांच समिति को भवन का एक हिस्सा बदहाल मिला। जर्जर हिस्से को तुड़वाकर अधिकारियों ने फिर से उस हिस्से का पुनर्निर्माण कराया। जून 2020 में भवन का निर्माण कार्य संपन्न हो गया था। तीन दशक बीतने के बाद अधिकारियों ने अब इसके संचालन की सुध ली है। अपर नगर आयुक्त अनिल कुमार ने बताया है बृहस्पतिवार से विद्युत शवदाह गृह 7 दिवसीय ट्रायल शुरू कराया है। सही सलामत ट्रायल पूर्ण होने के बाद एमवीडीए नगर निगम को इसके संचालन की जिम्मेदारी सौंपेगा। पहले दिन ट्रायल के दौरान एमवीडीए के जेई विमल कोहली, यमुना प्रदूषण याचिकाकर्ता गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी और एजेंसी कांट्रेक्टर धीरेंद्र समेत अन्य मौजूद रहे।

विद्युत शवदाह गृह के भवन में अस्थि कलश अलमीरा, चौकीदार, ऑपरेटर के रहने की व्यवस्था और गैस सिलिंडर रखने के लिए भी कवर्ड बनवाया गया है। साथ ही कार्यालय कक्ष, पुरुष व महिला वेटिंग हॉल, पुरुष व महिला शौचालय और बरामदा समेत पार्किंग की व्यवस्था की गई है।

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