असम सरकार द्वारा गुवाहाटी उच्च न्यायालय को अवैध कोयला खनन पर हलफनामा देने में देरी।

एनपीटी असम ब्यूरो
असम सरकार दिहिंग पटकाई क्षेत्र में अवैध कोयला खनन गतिविधियों के संबंध में गुवाहाटी उच्च न्यायालय को हलफनामा दाखिल करने में काफी देरी लगा रहे हैं। जिसके कारण गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने असम के गृह एवं राजनीतिक विभाग के प्रधान सचिव और पुलिस महानिदेशक को 14 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा है। यदि अधिकारी 13 फरवरी तक आवश्यक हलफनामा प्रस्तुत करके उन्हें अदालत में पेश करते हैं तो प्रधान सचिव और पुलिस महानिदेशक को अदालत में पेश होना नहीं पड़ सकता है। यह समन पीआईएल 29/2020 का जवाब देने में 22 महीने की देरी के बाद भेजा गया है, जिसमें कोल इंडिया के तिलोक ओपन कास्ट प्रोजेक्ट के लिए सालेसी प्रस्तावित रिजर्व फॉरेस्ट में 98.5 हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्जन को चुनौती दी गई है। पीआईएल में दिहिंग पटकाई हाथी रिजर्व और उसके आसपास के क्षेत्रों को पारिस्थितिक रूप से नाजुक घोषित करने और आस-पास के जंगलों को वन्यजीव अभयारण्यों के रूप में उन्नत करने की मांग की गई है। इसके अलावा, अदालत द्वारा कोल इंडिया लिमिटेड और वन विभाग की भूमिका की जांच करने की मांग की गई है। इसके लिए अदालत द्वारा बार-बार नोटिस दिए जाने के बाद भी असम गृह विभाग और पुलिस हलफनामा दाखिल नहीं कर पाए हैं । अदालत ने कहा कि अवैध खनन को रोकना पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और असम सरकार की सामूहिक जिम्मेदारी है। अदालत के पिछली सुनवाई के बाद , हालांकि कोल इंडिया लिमिटेड ने रिजर्व फॉरेस्ट में काम करना बंद कर दिया था, फिर भी अन्य एजेंसियों द्वारा बिना किसी बाधा के अवैध खनन जारी था। इन सब के असम सरकार के अधिकारियों की ओर से कोई अपडेट न मिलने के कारण अदालत अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही कर सकते है।