एक पति की दर्दनाक कहानी आखिर पत्नी कहां चली गई, दर-दर भटक रहे हैं पति

बासु कुमार मरीक
नेशनल प्रेस टाइम्स ब्यूरो, पाकुड़ (झा०खं०), गांव की पतली गलियों से निकलती धूल भरी हवाओं में अब भी उसकी आवाज़ गूंजती है- “किसी ने मेरी पत्नी को देखा है? नाम था……. । उम्र कोई 26 साल। गोड्डा जिले के एक छोटे से गांव का सीधा-साधा युवक। पिछले साल ही बड़ी धूमधाम से उसकी शादी हुई थी। गाजे-बाजे के साथ, रिश्तेदारों की भीड़ और पंडित की मंत्रोच्चारण के बीच सात फेरे लेकर उसने वादा किया था कि वो अपनी पत्नी को सात जन्मों तक खुश रखेगा। शादी के बाद शुरू हुआ एक सामान्य सा जीवन। छोटा घर, थोड़ा कमाई वाला काम, लेकिन प्यार भरपूर। विकास रोज़ खेत से लौटते समय अपनी पत्नी के लिए मटके का ठंडा पानी लाता, कभी नींबू, तो कभी वो टॉफी जो पत्नी को पसंद थी। गांव के लोग कहते थे, विकास तो बिल्कुल फिल्मी प्रेमी बन गया है। विकास बस मुस्कुरा देता। लेकिन एक रात, जब आसमान साफ था और चांद पूरा, उसी रात उसका संसार बिखर गया। पत्नी ने प्यार से खाना परोसा, जैसे हर रोज़। फिर बोली, “थोड़ा दूध पी लो, थक गए हो।” विकास मुस्कुराया, चुपचाप पी लिया। और फिर… गहरी नींद। सुबह जब उसकी आंख खुली, घर खाली था। पलंग पर सिर्फ तकिया पड़ा था, और दीवार पर सुमन की मुस्कान वाली एक तस्वीर टंगी थी। विकास ने सारा गांव छान मारा। स्टेशन, बस स्टैंड, सुमन के मायके, रिश्तेदार… लेकिन पत्नी कहीं नहीं थी। फिर उसने बलबड्डा थाने में शिकायत की। मेरी पत्नी का गुमशुदा हो गया है। थानेदार ने गहरी नजरों से उसे देखा, फिर धीरे से कहा मामला दर्ज कर लिया गया है। अब विकास रोज़ अपनी पत्नी की तस्वीर लेकर घूमता है- हर दरवाज़े पर दस्तक देता है, हर चेहरे में पत्नी को ढूंढता है। गांव के बच्चे उसे देख हंसते हैं, बुज़ुर्ग अफ़सोस करते हैं, और विकास… अब भी यही कहता है – मैंने वादा किया था सात जन्मों का… शायद ये जन्म उसका नहीं, मेरा इम्तिहान है।
यह कहानी झारखंड के गोड्डा जिले की एक सच्ची घटना से प्रेरित है।