बाबा बैजल सोरेन की फांसी टली, इतिहास बन गई प्रेम कहानी एक क्रांतिकारी, एक बांसुरी, और एक जेलर की बेटी की प्रेम गाथा

बासु कुमार मरीक
नेशनल प्रेस टाइम्स ब्यूरो, गोड्डा (झा०खं०), जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर सुंदरपहाड़ी प्रखण्ड स्थित बड़ा कल्हाजार गांव का अतीत खास रहा है, ये कहानी 19वीं सदी की है। जब बैजल सोरेन ने संताल परगना में साहूकारों के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंक दिया था। बैजल ने एक तंबोली साहूकार की हत्या कर दी थी। इसके बाद ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें गिरफ्तार कर मुर्शिदाबाद के सिउड़ी जेल भेज दिया। अदालत ने बैजल सोरेन को मौत की सजा सुनाई, लेकिन जेलर की बेटी को कैदी से प्यार हो गया। बांसुरी की धुन ने बाबा बैजल सोरेन की किस्मत बदल दिया। फांसी टली, इतिहास बन गई प्रेम कहानी इंग्लैंड तक सुनाई दी। बैजल सोरेन की प्रेम की धुन गोड्डा जिले के सुंदर पहाड़ी प्रखण्ड के बड़ा कल्हाजार गांव से जुड़ी एक ऐसी ही कहानी आजकल फिर सुर्खियों में है। एक क्रांतिकारी, एक बांसुरी, और एक जेलर की बेटी की प्रेम गाथा। यह सिर्फ एक कहानी नहीं, यह गोड्डा की मिट्टी से निकला हुआ इतिहास है, जो प्रेम, संगीत और बलिदान से बुना गया है। यह कहानी सिर्फ आज़ादी की नहीं, बल्कि ये कहानी है सुरों की ताकत की, ये कहानी है उस वीर की, जिसने मौत के साए में भी बांसुरी की तान छेड़ दी और अंग्रेजों की व्यवस्था को हिला कर रख दिया। नाम था- बाबा बैजल सोरेन। अंग्रेजों ने उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया और सुना दी फांसी की सजा। लेकिन बाबा बैजल सोरेन को ब्रिटिश जेल में यह लड़की बेटी से प्रेम हो गया। लेकिन फांसी से पहले पूछी गई आखिरी इच्छा ने सब कुछ बदल दिया। बाबा ने कहा- ‘मैं अपनी बांसुरी आखिरी बार बजाना चाहता हूँ। और जैसे ही बांसुरी सुरों की गूंज उठी, समय जैसे थम गया। जल्लाद की रस्सी ढीली पड़ गई और फांसी का समय गुजर गया। आज भी उनके गांव की हवा में वो धुनें तैरती हैं। बाबा बैजल सोरेन आज भी आदिवासी समाज के नायक हैं, जिनकी बांसुरी एक हथियार थी, और स्वर उनका प्रतिरोध। आज जब हम आज़ादी के 75 साल से आगे बढ़ रहे हैं, ऐसे वीरों की कहानियां हमें याद दिलाती हैं कि संगीत, कला और आत्मबल से भी लड़ी जाती है क्रांति। हुल आन्दोलन में “हुल के बांसुरी वाले योद्धा” कहे जाने वाले बाबा बैजल पर अब तक कोई भी किताब नहीं लिखी गई है, लेकिन इस पर गोड्डा के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक रितेश रंजन पिछले 2 वर्षों से खोज कर रहे हैं और पूरी कहानी के साथ किताब भी लिख रहे हैं।