15 साल बाद राजस्थान में फिर शुरू हुआ एनटीटी कोर्स :नई शिक्षा निति में मिलेगे सरकारी नौकरी के बेहत्तर अवसर

खैरथल-तिजारा जिले मे डाइट खोलने की मांगखैरथल-तिजारा:जो अभ्यर्थी प्री प्राइमरी शिक्षक बनना चाहते हैं उनके लिए यह एक शानदार मौका है आप एनटीटी का नया कोर्स करके आंगनबाड़ी, बालबाड़ी एवं स्कूलों में शिक्षक बन सकते हैं इसके अंदर कंपटीशन भी काफी कम रहेगा क्योंकि शुरुआत में नए कोर्स करे हुए व्यक्तियों की संख्या कम रहेगी ऐसे में यह आपके लिए शानदार मौका है इसका कोर्स करके आप टीचर बन सकते हैं।प्रारंभिक शिक्षा में 2 वर्षीय अध्यापक शिक्षा पाठ्यक्रम डीएलएड के साथ-साथ अब राज्य की डाइट नर्सरी टीचर ट्रेनिंग कोर्स भी करावेगी नर्सरी टीचर ट्रेनिंग कोर्स को शॉर्ट में एंटी कहा जाता है यह कोर्स करने के पश्चात राज्य में प्री प्राइमरी शिक्षकों की वैकेंसी में शामिल हो सकते हैं राज्य सरकार की ओर से इसके लिए तैयारियां पूरी कर ली है प्रदेश के सभी 34 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों इस कोर्स को शुरू किया जा रहा है।एनटीटी कोर्स के लिए योग्यता की बात करें तो किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से 12वीं कक्षा या उसके समक्ष पास होना चाहिए जो 50% अंकों के साथ में पास होना चाहिए इसके अलावा कम से कम आयु सीमा 18 वर्ष होनी चाहिए और कोई भी कला विज्ञान और वाणिज्य विषय के साथ पास हो
एनटीटी कोर्स को 15 साल बाद में फिर से शुरू कर दिया गया है राज्य सरकार की तरफ से इसके लिए एनओसी जारी कर दी गई है अब प्रदेश में इस कोर्स को फिर से लागू किया जाएगा एनटीटी कोर्स को पहले नर्सरी टीचर ट्रेनिंग कोर्स के नाम से जाना जाता था लेकिन अब इसका नाम बदल दिया गया है अब इसे डिप्लोमा इन प्री स्कूल एजुकेशन कोर्स के नाम से जाना जाएगा.नई शिक्षा निति में इस कोर्स के बाद बेहत्तर अवसर प्राप्त होगें
खैरथल के शिक्षाविद बीएन अवस्थी ने बताया सरकारी क्षेत्र में रोजगार चाहने वालों को डीपीएसई/एनटीटी दो वर्षीय और एनसीटीई से मान्य कोर्स ही करना चाहिए किसी संस्थाओ से किऐ गये कोर्स मान्य नही है राजस्थान में.
नये जिलों मे डाईट की स्थापना नहीं होने के कारण खैरथल-तिजारा जिले के विधार्थियों को भी अन्य जिलों मे ही प्रवेश लेना होगा खैरथल के किसान नेता टिल्लू शर्मा और वरिष्ठ नेता नारायण छंगाणी ,समाजसेवी मेहमूद खां ने सीएम भजनलाल शर्मा को पत्र भेज कर खैरथल में डाइट खोलने की मांग की है जिससे खैरथल के विधार्थियों को स्थानीय स्तर पर शिक्षा क्षेत्र का प्रशिक्षण मिल सके.