रंगजी मंदिर का खुला वैकुंठ द्वार, भगवान रंगनाथ ने दिए दर्शन

एनपीटी मथुरा ब्यूरो
मथुरा। व्रन्दावन में उत्तर भारत के विशाल दक्षिण शैली के रंगनाथ मन्दिर में शुक्रवार को वैकुंठ एकादशी के अवसर पर वैकुंठ द्वार को खोला गया। वर्ष में एक बार खुलने वाले वैकुंठ द्वार पर विराजमान हो कर भगवान ने भक्तों को दर्शन दिए। मान्यता है कि वैकुंठ द्वार से जो भक्त निकलता है, उसे वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। वैकुंठ उत्सव की शुरुआत देर रात भगवान रंगनाथ की मंगला आरती से हुई। इसके बाद सुबह ब्रह्म मुहूर्त में भगवान रंगनाथ माता गोदा जी के साथ परंपरागत वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि के मध्य निज मन्दिर से पालकी में विराजमान हो कर वैकुंठ द्वार पहुंचे। यहां भगवान रंगनाथ की पालकी करीब आधा घंटे तक द्वार पर खड़ी रही। भगवान रंगनाथ की सवारी वैकुंठ द्वार पर पहुंचने पर मंदिर के श्री महंत गोवर्धन रंगाचार्य जी के नेतृत्व में सेवायत पुजारियों ने पाठ किया । करीब आधा घण्टे तक हुए पाठ और अर्चना के बाद भगवान रँगनाथ, शठ कोप स्वामी,नाथ मुनि स्वामी और आलवर संतों की कुंभ आरती की गई। वैदिक मंत्रोचार के मध्य हुए पूजा पाठ के बाद भगवान रंगनाथ की सवारी मन्दिर प्रांगड़ में भृमण करने के बाद पौंडानाथ मन्दिर जिसे भगवान का निज धाम वैकुंठ लोक कहा जाता है में विराजमान हुई। यहां मन्दिर के लोगों ने भगवान को भजन गा कर सुनाए। वैकुंठ द्वार से निकलने की चाह में लाखों भक्त रात से ही मन्दिर परिसर में एकत्रित होना शुरू हो गए। मन्दिर के पुजारी स्वामी राजू ने बताया कि 21 दिवसीय वैकुंठ उत्सव में 11 वें दिन वैकुंठ एकादशी पर्व पर वैकुंठ द्वार खोला जाता है । यह एकादशी वर्ष की सर्वश्रेष्ठ एकादशियों में से एक मानी जाती है। मान्यता है कि वैकुंठ एकादशी पर जो भी भक्त वैकुंठ द्वार से निकलता है उसे वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती हैं।