निर्भीक बने बेटियां: मातृभूमि, मातृभाषा और मातृसंस्कृति की रक्षा को तैयार

बड़ौत/बागपत : जिला आर्य प्रतिनिधि सभा बागपत के तत्वावधान में चौधरी केहर सिंह दिव्य पब्लिक स्कूल, बड़ौत में आयोजित बालिका आवासीय संस्कार शोधक शिविर के पांचवें दिन बेटियों को आत्मरक्षा एवं शारीरिक सशक्तिकरण का विशेष प्रशिक्षण दिया गया। शिविर में शिक्षिका सीमा आर्या ने प्रतिभागी छात्राओं को पीटी, सूर्य नमस्कार, भूमि नमस्कार, जूडो-कराटे, लाठी, डम्बल, लेजियम, योगासन, प्राणायाम एवं भाला चलाने जैसी विविध गतिविधियों का अभ्यास कराया। शिविर का उद्देश्य बेटियों को शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाना है।
इस अवसर पर आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तर प्रदेश के अधिष्ठाता रवि शास्त्री ने शिविर को संबोधित करते हुए कहा –
“जो लोग विद्वान, धर्मात्मा, सज्जनों के साथ मिलकर यज्ञ, स्वाध्याय और उत्तम कर्मों में संलग्न रहते हैं, वे न केवल दु:खों और दुर्गुणों से बचते हैं, बल्कि समाज को भी उज्ज्वल दिशा प्रदान करते हैं।”
उन्होंने बेटियों से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में मातृभूमि, मातृभाषा और मातृसंस्कृति की रक्षा का संकल्प लें और आत्मविश्वास से भरे जीवन की ओर अग्रसर हों। रवि शास्त्री ने कहा कि समाज को इस समय अच्छे व्यक्तियों को प्रोत्साहन और बुरे व्यक्तियों को हतोत्साहित करने की नीतिगत आवश्यकता है, ताकि नैतिकता और सदाचार की नींव मजबूत हो।
धर्मपाल त्यागी ने अपने उद्बोधन में बेटियों को आत्मसम्मान के साथ जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि—
“हर बेटी को स्वाभिमानी और चरित्रवान बनना चाहिए। जो लोग बेटियों का सम्मान नहीं करते, उन्हें बेटियां अपने साहस से सबक सिखाएं।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस शिविर का उद्देश्य नारी शक्ति को निर्भीक बनाना है ताकि वे राष्ट्र निर्माण में सशक्त भागीदारी निभा सकें।
कार्यक्रम में अनेक गणमान्य नागरिकों और शिक्षाविदों की गरिमामयी उपस्थिति रही। इस दौरान प्रो. सुरेंद्र पाल आर्य, सुरेंद्र ठेकेदार, जयवीर सिंह, डॉ. सुरेश आर्य, कपिल आर्य, मा. महक सिंह, आरती, पिंकी आर्या, सविता आर्या, पायल आर्या आदि उपस्थित रहे और उन्होंने भी शिविर की उपयोगिता को सराहा।
- बेटियों का आत्मरक्षा प्रदर्शन।
- योग और प्राणायाम के माध्यम से आत्मिक जागरण।
- मातृभाषा में संवाद कौशल का अभ्यास।
- राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत सांस्कृतिक सत्र।
शिविर का संचालन संकल्प और संस्कृति के मूल्यों पर आधारित है, जहां संस्कार और साहस को जीवन का मूल मंत्र बनाया जा रहा है। निश्चित रूप से यह शिविर आने वाले समय में नारीशक्ति के नए स्वरूप की आधारशिला रखेगा।