सिंगरौली

खुटार स्टेडियम बना बकरी रखने वाला बाड़ा

ठेकेदार की मनमानी और जिम्मेदारों की मिलीभगत 

नेशनल प्रेस टाइम्स, ब्यूरो।

सिंगरौली। खेल और युवा विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से करोड़ों की लागत से तैयार किए गए खुटार स्टेडियम की दुर्दशा आज सिंगरौली जिले की प्रशासनिक विफलताओं की गवाही दे रही है। कभी बच्चों और युवाओं की खेल प्रतिभाओं को निखारने का सपना लिए बना यह स्टेडियम आज बकरी बाजार में तब्दील हो चुका है। स्टेडियम के मैदान में अब गेंद नहीं, बल्कि बकरियों की टोलियां दौड़ती हैं, और दर्शक दीर्घा के कमरे अस्थायी बाड़ों में बदल दिए गए हैं।

बकरी व्यापार बना स्टेडियम का वास्तविक उपयोग

मौके पर पहुंची एक स्थानीय मीडिया टीम द्वारा की गई पड़ताल में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि बकरी बाजार चलाने वाले ठेकेदारों ने स्टेडियम को अवैध रूप से कब्जा कर बकरियों के रखने के लिए बाड़ा बना दिया है। स्थानीय व्यापारियों ने जानकारी दी कि ठेकेदार पुलिस के नाम पर अवैध रूप से वसूली करता है। बकरी की एक-एक गाड़ी पर मोटी रकम वसूल की जाती है, जिसका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं होता।

बकरियों की क्रूरता भरी ढुलाई – पशु क्रूरता अधिनियम की खुली धज्जियाँ

इस पूरे मामले में एक और गंभीर पक्ष यह है कि बकरियों को ठूंस-ठूंसकर वाहनों में भरकर अन्य राज्यों में भेजा जाता है, जिससे पशु क्रूरता अधिनियम के नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। न तो परिवहन के मानक का ध्यान रखा जा रहा है, न ही कोई मेडिकल चेकअप या फिटनेस प्रमाणपत्र लिया जा रहा है। पूर्व में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक द्वारा इस पर सख्ती से कार्रवाई की गई थी, जिसके तहत कई बार बकरी लदी गाड़ियों को जब्त किया गया था और व्यापारियों पर पशु क्रूरता अधिनियम के अंतर्गत केस भी दर्ज हुए थे। परंतु वर्तमान पुलिस अधीक्षक की भूमिका इस पूरे मामले में संदिग्ध और निष्क्रिय नजर आती है, जिससे अवैध वसूली और पशु तस्करी को अप्रत्यक्ष रूप से संरक्षण मिल रहा है।

स्टेडियम का सही उपयोग कब ?

इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ हो जाता है कि सिंगरौली जिले में जनसुविधाओं की अनदेखी आम हो गई है। खुटार जैसे इलाके में जहां खेल संसाधन पहले से ही सीमित हैं, वहां स्टेडियम जैसी संरचना को अवैध कारोबार में तब्दील कर देना भविष्य के खिलाड़ियों के साथ अन्याय है। यह आवश्यक हो गया है कि जिला कलेक्टर तुरंत मामले का संज्ञान लेकर स्टेडियम को खाली करवाएं, ठेकेदार पर कार्यवाही हो, और पुलिस विभाग से जवाब-तलब किया जाए कि किसके संरक्षण में यह पूरा तंत्र चल रहा है। खुटार स्टेडियम की वर्तमान स्थिति प्रशासनिक लापरवाही और अवैध गठजोड़ का ज्वलंत उदाहरण है। यह केवल एक स्टेडियम की बात नहीं, बल्कि लोकधन और सार्वजनिक हितों के दुरुपयोग की गाथा है, जिसे अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जनता को भी चाहिए कि ऐसे मुद्दों पर संगठित होकर आवाज उठाएं और खेल सुविधाओं को बकरियों के बाड़े में तब्दील होने से रोकें।

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