सिंगरौली

सिंगरौली में अल्ट्रासाउंड केंद्रों की मनमानी नियमों को ताक पर रखकर मरीजों से की जा रही मोटी वसूली…

न सुविधा, न पारदर्शिता, फिर भी 700 से 800 रुपये तक वसूली...

नेशनल प्रेस टाइम्स, ब्यूरो
सिंगरौली । सिंगरौली ऊर्जा की राजधानी कहे जाने वाले मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में जहां एक ओर सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लाख दावे करती है, वहीं दूसरी ओर हकीकत इससे उलट दिखाई दे रही है। जिले में संचालित हो रहे निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर खुलेआम लूट का खेल चल रहा है।
मरीजों की जेब पर डाका नहीं मिलती मूलभूत सुविधाएं
स्थानीय नागरिकों और गोपनीय सूत्रों के अनुसार, जिले के कई निजी अल्ट्रासाउंड केंद्र बिना पर्याप्त सुविधा और नियमों के संचालन कर रहे हैं। केंद्रों पर न तो बैठने की समुचित व्यवस्था है, न ही पार्किंग की सुविधा, और न ही स्वास्थ्य सुरक्षा मानकों का पालन। इसके बावजूद हर एक मरीज से700 रुपये से लेकर 800 रुपये तक की वसूली की जा रही है।
नियमों की उड़ रही धज्जियां ..
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और रेडियोलॉजी से जुड़े नियमों के अनुसार अल्ट्रासाउंड सेंटर के लिए प्रशिक्षित डॉक्टर, उचित तकनीकी यंत्र, साफ-सुथरी व्यवस्था और रिकॉर्ड संधारण अनिवार्य होता है। लेकिन सिंगरौली जिले में अधिकांश अल्ट्रासाउंड केंद्र इन मानकों को पूरा नहीं करते।
मरीजों की पीड़ा, व्यवस्था की चुप्पी…
स्थानीय मरीजों का कहना है कि उन्हें मजबूरी में इन केंद्रों पर जाना पड़ता है, क्योंकि सरकारी अस्पतालों में या तो मशीनें खराब हैं या स्टाफ मौजूद नहीं होता। जब वे निजी केंद्रों पर जाते हैं तो उनसे मनमानी फीस वसूली जाती है और कोई रसीद तक नहीं दी जाती। इतनी गंभीर लापरवाही और आर्थिक शोषण के बावजूद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी सवालों के घेरे में है। क्या यह सब अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है या फिर यह भ्रष्टाचार का नया चेहरा है?
जनता ने उठाई आवाज, की जांच की मांग..
स्थानीय सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों ने इस मुद्दे को लेकर जिला कलेक्टर से शिकायत करने की बात कही है। उनका कहना है कि अगर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
सिंगरौली जैसे जिले में जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की आवश्यकता सबसे अधिक है, वहां अल्ट्रासाउंड जैसे संवेदनशील क्षेत्र में हो रही यह लापरवाही और लूट प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन कब तक इस मामले को नजरअंदाज करता है या फिर वास्तव में जिम्मेदारी दिखाते हुए सख्त कदम उठाएगा।
इन मामलों को लेकर जिला स्वास्थ्य अधिकारी सी एम ओ एन के जैन के पास मोबाइल फोन के माध्यम से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनके द्वारा फोन नहीं उठाया गया
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