1700 से ज्यादा पारा टीचरों की नौकरी पर खतरा, बाबूलाल मरांडी ने जताई चिंता

नेशनल प्रेस टाइम्स ब्यूरो,
रांची, लम्बी अवधि तक नौकरी करने के बाद अब 1700 से ज्यादा पारा टीचरों की मुश्किलें बढ़ने जा रहीह । राज्य सरकार की तरफ से उन्हें नौकरी से हटाने की प्रक्रिया चल रही है। इस आशंका पर पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने चिंता जतायी है। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड सरकार द्वारा 1700 से अधिक सहायक अध्यापकों को नौकरी से हटाने का निर्देश अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होने कहा कि ये शिक्षक पिछले 15 से 20 वर्षों से लगातार सेवा दे रहे हैं और दूरदराज़ क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। इन शिक्षकों को हटाने से न केवल उनका भविष्य संकट में आ जाएगा, बल्कि इससे शिक्षा व्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ेगा। बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेने से मांग की है कि शिक्षकों के अनुभव और सेवा को सम्मान दिया जाना चाहिए। यदि आवश्यक हो, तो उनके लिए एक विशेष मूल्यांकन प्रक्रिया या वैकल्पिक उपाय अपनाए जाएँ जिससे उनकी नौकरी सुरक्षित रह सके और शिक्षा व्यवस्था भी प्रभावित न हो।
क्यों है नौकरी पर संकट
मिली जानकारी के मुताबिक आरोप है कि गैर मान्यता प्राप्त संस्थानों की डिग्री पर कई पारा शिक्षकों ने नौकरी पायी थी। अब झारखंड के करीब 1700 से अधिक सहायक अध्यापक (पारा शिक्षक) हटाए जाएंगे। ये सभी शैक्षणिक संस्थान उत्तर प्रदेश के हैं, जिनकी डिग्री झारखंड में मान्य नहीं है। शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच में इसका खुलासा हुआ है। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (जेईपीसी) ने जिला शिक्षा अधीक्षकों को इन्हें नौकरी से हटाने का निर्देश दिया गया है। तत्काल कार्रवाई कर इसकी सूचना देने को कहा है, वरना शिक्षा अधिकारियों पर ही कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है। जेईपीसी ने सभी सहायक अध्यापकों के प्रमाण पत्रों की जांच कराई है। इस दौरान पता चला कि करीब 1700 पारा शिक्षकों ने गैर मान्यता प्राप्त संस्थानों से डिग्री ली है। इसी बीच जेईपीसी के निदेशक शशि रंजन ने कहा कि कोडरमा में कुछ पारा शिक्षकों को हटाया गया है। प्रमाण पत्रों की जांच में ऐसे करीब 1700 शिक्षक मिले हैं। पूरी रिपोर्ट मिलने के बाद इनकी संख्या बढ़ भी सकती है।