गोड्डा

कुड़मालि के पुरोधा सारिगत लक्ष्मीकांत मुतरुआर को दी गई श्रद्धांजलि

एनपीटी पथरगामा ब्यूरो

पथरगामा : प्रखंड अंतर्गत पीपरा पंचायत के होपनाटोला गांव में कुड़मालि के पुरोधा सारिगत लक्ष्मीकांत मुतरुआर के जयंती के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर नमन किया। इस मौके पर टोटेमिक कुड़मी विकास मोर्चा के जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार महतो ने बताया कि सारिगत लक्ष्मीकांत मुतरुआर कुड़मालि के अनमोल रत्न थे। लक्ष्मीकांत मुतरुआर के अथक प्रयास से कुड़मालि भाषा साहित्य का विकास संभव हो सका है।
उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन कुड़मालि भाषा साहित्य और संस्कृति के संरक्षण प्रचार और संवर्धन में समर्पित कर दिया। उनका जन्म 22 अप्रैल 1939 को बोकारो के चास प्रखंड के भंड़रो गांव (टोला डुंगरीटांड़) में एक किसान परिवार में हुआ था पिता का नाम राखाल महतो और माता का नाम बुचि माहताइन था। पांच भाई- बहनो में वे सबसे बड़े थे, बचपन से ही साहसी, परिश्रमी व विद्या- प्रेमी थे।
साल 1956 मे मैट्रिक पास करने के बाद पिंजराजोड़ा के शिक्षण प्रशिक्षण विद्यालय से प्रशिक्षण प्राप्त कर 1959 में शिक्षक बनें। बाद मे उन्होंने स्नातक, स्नातकोत्तर और वकालत की उपलब्धि हासिल की। वे कई विद्यालयों में प्रधानाध्यापक रहे और बोकारो जिला संघ के अध्यक्ष भी बने। साल 1980 में रांची विश्वविद्यालय में जनजातीय भाषाओ के लिए पीजी विभाग की स्थापना बनी समिति में कुड़मालि प्रतिनिधि बनाए गए।
उन्होंने दहेज प्रथा, तिलक, बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियो का विरोध किया। उन्होंने कुड़मालि के अनेको किताब लिखे पाठ्यक्रम मे शामिल है इनकी पुस्तक “जनजाति परिचित” को अनेको विद्धानों और नेताओ ने सराहा। आकाशवाणी से कई कविताएं व नाटक प्रसारित हुए। 26 सितंबर 2012 को उनकी मृत्यु हो जाती है। उनके जन्मदिन के दिन को हम कुड़मालि दिवस के रूप में मनाते है। मौके पर उपस्थित टोटेमिक कुड़मी विकास मोर्चा के जिला कोषाध्यक्ष दीपक कुमार महतो, दिव्यांश कुमार महतो, कलावती महतो, सोनी महतो, प्रिया महतो, दीप्ति श्री महतो, बिच्छो कुमारी, दीपिका कुमारी सभी उपस्थित हुए।

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