किसानों को धान की नर्सरी में खाद और उर्वरक प्रबंधन की दी जानकारी

नेशनल प्रेस टाइम्स, ब्यूरो।
कांधला। विकसित कृषि संकल्प अभियान अंतर्गत गांव डुढार मे गुज्जर चौपाल पर किसान वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया।
गुरुवार को कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डा संदीप चौधरी ने धान की नर्सरी की जानकारी देते बताया कि 300 वर्ग मीटर नर्सरी क्षेत्रफल में लगभग 250 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद, यूरिया 6 से 8 किलो , डीएपी 4 किलोंग्राम, 2.5 किलो, 1 किलो म्युरेट ऑफ पोटाश और 1 किलो जिंक सल्फेट खेत की तैयारी के समय अच्छी तरह से मिलाना चाहिए। बुआई के समय खेत की सतह से पानी निकाल दें और बुआई के तीन से चार दिनों तक केवल खेत की सतह को पानी से तर रखें। जब अंकुर 5 सेंटीमीटर के हो जाएं, तो खेत में 1 से 2 सेंटीमीटर पानी भर दें। जैसे पौधे बढ़ते जाएं। ज्यादा पानी होने पर पानी को खेत से निकाल देना चाहिए। धान की नर्सरी की देखरेख के बारे मे कहा कि नर्सरी में पौधे नाइट्रोजन की कमी के कारण पीले दिखाई दें तो तीन किलों यूरिया प्रति वर्ग मीटर की दर से नर्सरी में दें। रोपाई में देरी होने की संभावना हो तो नर्सरी में नाइट्रोजन की टाप ड्रेसिंग न करें। जरूरत होने पर पौध संरक्षण दवाओं का छिड़काव करें। नर्सरी में सल्फर या जिंक की कमी दिखाई दे तो सही मात्रा के अनुसार उपचार करें।नर्सरी में खरपतवार नियंत्रण के लिए 1 से 2 बार जरूरत के मुताबिक खरपतवारों को हाथ से भी उखाड़ें। इसके बाद नाइट्रोजन का इस्तेमाल करें। धान की नर्सरी लगाने के 3 से 4 हफ्ते बाद पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है। रोपाई के लिए पौध को क्यारियों से उखाड़ने से 5 से 6 दिन पहले 3 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति 300 वर्ग मीटर नर्सरी के हिसाब से देते हैं ताकि स्वस्थ पौध मिल सकें। सहायक विकास अधिकारी (कृषि रक्षा) अजय तोमर ने किसानो को अटल भूजल अन्तर्गत जल संरक्षण एवं सूक्ष्म सिंचाई पद्धतियों पर जानकारी दी। सहायक विकास अधिकारी (कृषि) जयदेव उपाध्याय ने किसानो को कृषि विभाग द्वारा संचालित कृषि योजनाओ किसान कार्ड, एकीकृत धान्य विकास कार्यक्रम, उर्द, मूगं की खेती के साथ सहफसली खेती के बारे मे बताया। इस दौरान ग्राम प्रधान अतेन्द्र चौहान,विनुज कुमार, कृष्ण अवतार, अमित कुमार, प्रवीन कुमार, कृष्णा और पुष्पेन्द्र आदि मौजूद रहे।